तर्ज : मोरिया आच्छो बोल्यो रे… बोलिया, पित्तर जी म्हारै घर में, बोलिया बै तो हरदम हाजिर-2, खड़या है म्हारै साथ। बोलिया, पित्तर जी… बोलिया, पित्तर जी चौखी चौखी, बात जी… म्हारै मन का सारा-2, दूर करें है विकार। बोलिया, पित्तर जी… बोलिया, पित्तर जी धरम करम थे सब करो… थारो धरम करयोड़ो-2 जासी थारै
तर्ज :क्या मिलिये ऐसे लोगों से.. साँचे मन से पितृ देव के, चरणों में करना फरियाद, ऋतु अनुसार ही दान-धर्म हो, तब ही मिलेगा आशीर्वाद, कलश घड़े का दान करो, ग्रीष्म ऋतु में जल की सुराही, ए.सी. कूलर फ्रीज पॅखा दे, पित्तरों का सम्मान करो, शीतल मन से ब्राह्मण देवा, दे देवेंगे आशीर्वाद। ऋतु अनुसार…..
तर्ज : बाबुल का ये घर बहना…. पितरों की किरपा से, घर आँगन महक रहा, हमारा ये घर परिवार, खुशियों से है, चहक रहा…. पितरों ने महर करी, कारोबार भी, बढ़ता गया, सुख समृद्धि मिली, नाम कुल का भी, चढ़ता गया, पित्तरों की महिमा से, आज कुल सारा दमक रहा….।1। पित्तरों की पूजा से, आज
तर्ज : दिल के अरमां आसुवों में बह गये.. पित्तरां को दरसाव म्हानै, हो रहयो पित्तरां की भगति में मनड़ो, खो रहयो… पित्तरां की शक्ति नै म्है तो, जाणग्या हर घड़ी, अहसास म्हानै, हो रहयो…. पित्तरां की सकलाई म्हानै, मिल रही पित्तरां को वरदान म्हानै, मिल रहयो… पित्तरां को वासो म्हारै हिवड़ मै है मन
तर्ज:- खाटू को श्याम रंगीलो जी… पितरां की शान निराली जी, पितरां की पितरां की सकलाई ठाडी घर-घर मायँ रुखाली जी, पितरां की, कोई (2) घर मँ दयो पितरां ने वासो पैण्डै मांहि दिवलो चासो ज्योति बड़ी महरां वाली, पितरां की, कोई(2) पितरां को है वास सुहाणो पितरां नै नही कदै भुलाणो पूजा सुख देणै