पितरों की किरपा से, घर आँगन महक रहा,

Pitron Ki Kripa Se Ghar Aangan Mahak Rha

तर्ज : बाबुल का ये घर बहना….

पितरों की किरपा से, घर आँगन महक रहा,
हमारा ये घर परिवार, खुशियों से है, चहक रहा….

पितरों ने महर करी, कारोबार भी, बढ़ता गया,
सुख समृद्धि मिली, नाम कुल का भी, चढ़ता गया,
पित्तरों की महिमा से, आज कुल सारा दमक रहा….।1।

पित्तरों की पूजा से, आज खुशियाँ छाई है,
उनके ही सुमिरन ने, वंश बेल चढ़ाई है,
प्यार भरी गागर से, देखो सागर है, छलक रहा….।2।

पित्तरों ने पाला है हमें, हम सब यही कहते हैं,
रवि कहे उनकी शरण, हम चरणों में रहते हैं
उनके ही गुण गाए, मन भावों से, बहक रहा…..।3।

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