पितरां की शान निराली जी, पितरां की

Pitra Ki Shan Nirali Ji Pitra Ki

तर्ज:- खाटू को श्याम रंगीलो जी…

पितरां की शान निराली जी, पितरां की
पितरां की सकलाई ठाडी
घर-घर मायँ रुखाली जी,
पितरां की, कोई (2)

घर मँ दयो पितरां ने वासो
पैण्डै मांहि दिवलो चासो
ज्योति बड़ी महरां वाली,
पितरां की, कोई(2)

पितरां को है वास सुहाणो
पितरां नै नही कदै भुलाणो
पूजा सुख देणै वाली,
पितरां की, कोई (2)

पितरां नै थे मन से पूजो
‘रवि’ कहै नहीं इनसो दूजो
आशीष जाय न खाली जी,
पितरां की, कोई(2)

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *