पित्तरां को दरसाव म्हानै, हो रहयो

Pitra Ko Darshav Mahne Ho Rhyo

तर्ज : दिल के अरमां आसुवों में बह गये..

पित्तरां को दरसाव म्हानै, हो रहयो
पित्तरां की भगति में मनड़ो, खो रहयो…
पित्तरां की शक्ति नै म्है तो, जाणग्या
हर घड़ी, अहसास म्हानै, हो रहयो….
पित्तरां की सकलाई म्हानै, मिल रही
पित्तरां को वरदान म्हानै, मिल रहयो…
पित्तरां को वासो म्हारै हिवड़ मै है
मन की आँख्या नै तो दर्शण, हो रहयो…
पित्तरां की आशीष म्हारै, फल रही
‘रवि’ कहवै घर-बार उन्नत, हो रहयो….

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