जाने क्या जादू कर गयो रे, ओ बांके सांवरिया, बांके सांवरिया, मेरे प्यारे सांवरिया, जाने क्या जादु कर गयो रे, ओ बांके सांवरिया।। जबसे सुनी है बैरन मुरलिया, मन में बस गई तोरी सुरतिया, बंसी बजा के किधर गयो रे, ओ बांके सांवरिया, जाने क्या जादु कर गयो रे, ओ बांके सांवरिया।। बैरन हो गई
मेरे राघव जी उतरेंगे पार हो, गंगा मैंया धीरे बहो। धीरे बहो धीरे बहो हौले बहो, गंगा मैंया धीरे बहो। मेंरे प्रभू जी उतरेंगे पार हो, गंगा मैंया धीरे बहो। आज सफल हुये नयन हमारे, प्रभू जी विराजे हैं नाव हमारे-2 ये तो जग के पालनहार, गंगा मैंया धीरे बहो मेंरे प्रभू जी उतरेंगे पार
छगन मगन मेरे लाल को, आजा रे निंदिया आ, चंचल मन घनश्याम के, नैनन बीच समा, छगन मगन मेरे लाल को… जप तप पूजा पाठ सो, विधिना दिया मोहे लाल, सो जा कन्हैया लाड़ले, मैया बजावे ताल, कैसे सुलाऊँ लाल को, धीरे धीरे लोरी गा, छगन मगन मेरें लाल को… सोवे कन्हैया पालनो, बांकि है
सुन मेरे कान्हा, ज़रा ये बताना, खफा हमसे तू क्यूँ हो गया, जमुना पे आना, बांसुरी सुनाना, बता दे कहाँ तू खो गया, ओ मानजा नही तो तुम्हे, मैया की कसम, सुन मेरें कान्हा, ज़रा ये बताना, खफा हमसे तू क्यूँ हो गया।। हद तोड़ दी थी तुमने ही सारी, बता करती क्या सखिया बेचारी,
मनिहारी का भेष बनाया, श्याम चूड़ी बेचने आया लिरिक्स झोली कंधे धरी, उसमें चूड़ी भरी, गलियों में शोर मचाया, श्याम चूड़ी बेचने आया मनिहारी का भेष………………………………..।।1।। राधा ने सुनी, ललिता से कही मोहन को तुरन्त बुलाया, श्याम चूड़ी बेचने आया मनिहारी का भेष………………………………..।।2।। चूड़ी लाल नहीं पहनूँ, चूड़ी हरी नहीं पहनूँ मुझे श्याम रंग है
राम कृष्ण हरि मुकुंद मुरारि . पांडुरंग पांडुरंग राम कृष्ण हरि .. विट्ठल विट्ठल पांडुरंग राम कृष्ण हरि . पांडुरंग पांडुरंग राम कृष्ण हरि .. मुकुन्द माधव गोविन्द मुकुन्द माधव गोविन्द बोल केशव माधव हरि हरि बोल .. हरि हरि बोल हरि हरि बोल . कृष्ण कृष्ण बोल कृष्ण कृष्ण बोल .. राम राम बोल
करुणा भरी पुकार सुन अब तो पधारो मोहना, कृष्ण तुम्हारे द्वार पर आया हूँ मैं अति दीन हूँ, करुणा भरी निगाह से अब तो पधारो मोहना… कानन कुण्डल शीश मुकुट गले बैजंती माल हो, सांवरी सूरत मोहिनी अब तो दिखा दो मोहना… पापी हूँ अभागी हूँ दरस का भिखारी हूँ, भवसागर से पार कर अब
कन्हैया कन्हैया तुझे आना पड़ेगा आना पड़ेगा, वचन गीता वाला निभाना पड़ेगा.. गोकुल में आया मथुरा में आ छवि प्यारी प्यारी कहीं तो दिखा, अरे सांवरे देख आ के ज़रा सूनी सूनी पड़ी है तेरी द्वारिका.. जमुना के पानी में हलचल नहीं, मधुबन में पहला सा जलथल नहीं, वही कुंज गलियाँ वही गोपिआँ, छनकती मगर
आओ आओ यशोदा के लाल, आज मोहे दरशन से कर दो निहाल, आओ आओ आओ आओ यशोदा के लाल… नैया हमारी भंवर मे फंसी, कब से अड़ी उबारो हरि, कहते हैं दीनों के तुम हो दयाल -2 आओ आओ आओ आओ यशोदा के लाल… अबतो सुनलो पुकार मेरे जीवन आधार, भवसागर है अति विशाल, लाखों