पाई न केहिं गति पतित पावन राम भजि सुनु सठ मना। गनिका अजामिल ब्याध गीध गजादि खल तारे घना॥ आभीर जमन किरात खस स्वपचादि अति अघरूप जे। कहि नाम बारक तेपि पावन होहिं राम नमामि ते॥ रघुबंस भूषन चरित यह नर कहहिं सुनहिं जे गावहीं। कलि मल मनोमल धोइ बिनु श्रम राम धाम सिधावहीं॥ सत
शब्द की चोट लगी मेरे मन को, भेद गया ये तन सारा, हो मोपे साईं रंग डारा। सतगुरु हो महाराज, हो मोपे साईं रंग डारा। कण कण में जड़ चेतन में, मोहे रूप दिखे इक सुंदर, जिस के बिन मैं जी नहीं पाऊँ, साईं बसे मेरे अंदर, पूजा अर्चन सुमिरन कीर्तन, निस दिन करता रहता,
मझधार में नैया है राहें अंजानी है मेरे बाबा सुन लो मेरी ये नाव पुरानी है मैं बीच भंवर में हूँ मिलता न किनारा है मेरी डूबती नैया का एक तू ही सहारा है मुझे आस किसी से नहींमुझे आस बढानी है मेरे बाबा सुन लो, मझधार में नैया है दुनिया ने बतलाया तुम माझी
रावण के देश गयो, सिया को संदेशो लायो, कबहुँ ना किन्ही योद्धा, बात अभिमान की, रावण के देश गयों, सिया को संदेशो लायो, रावण के देश गयो।। राक्षको को मार डाला, वाटिका उजार डाली, बेसहत मानी नाही, रावण बलवान की, रावण के देश गयों, सिया को संदेशो लायो, रावण के देश गयो।। क्षण में समुन्द्र
बाबा रामदेवजी ओ थाने खम्मा घणी, अजमल जी रा कवरा थाने खम्मा घणी, बाबा रामदेवजी ओ थाने खम्मा घणी, (बाबा रामदेवजी ओ थाने खम्मा घणी) अजमल जी रा कवरा थाने खम्मा घणी, थे मरूधर रा हो देव थारी, ध्वजा फिरूके सारे देश में, साचा मन से धावे उनरो रो, जन्म सफल होवे मलका, (माता नेणाधरा
सरस्वती नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणी विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा। माँ शारदे कहाँ तू, वीणा बजा रही है किस मंजु ज्ञान से तू, जग को लुभा रही हैं किस भाव में भवानी, तू मग्न हो रही है विनती नहीं हमारी, क्यों माँ तू सुन रही है हम दीन बाल कब से, विनती सुना रहें हैं चरणों
बिगड़ी मेरी बना दो, दुःख दर्द सब मिटा दो, दुःख सब के हरने वाले। मेरे बाबा भोले भाले, मेरे शम्भू भोले भाले-२ बिगड़ी मेरी बना दो। कोई भूल हो गयी हो, मेरे स्वामी माफ़ करना, कोई भूल हो गयी हो। सेवक हैं हम तो तेरे, तुम दाता हो हमारे-२ बिगड़ी मेरी बना दो। दुःख संकटों
ना मैं मीरा ना मैं राधा, फिर भी श्याम को पाना है। पास हमारे कुछ भी नहीं, केवल भाव चड़ाना है॥ जब से तेरी सूरत देखि, तुम में प्रेम की मूरत देखि। अपना तुम्हे बनाना है, अपना तुम्हे बनाना है॥ और किसी को क्या मैं जानू, अपनी लगन को सब कुछ मानू। दिल का दर्द
मैं तो अरज करू गुरु थाने, चरणा में राखजो माने, हेलो तख्त देवू की थाने, म्हारी लाज शर्म सब थाने। मैं तो अरज करू गुरु थाने, चरणा में राखजो माने। गुरु मात पिता सुख दाता, सब स्वारथ का है नाता, एक तारण तिरण गुरु दाता, ज्यारा चार वेध्द जस गाता। मैं तो अरज करू गुरु
कान्हा रे थोडा सा प्यार दे, चरणों में बैठा के तार दे ओ गोरी, घूंघट उतर दे, प्रेम की भिक्षा झोली में डार (डाल) दे कान्हा रे थोडा सा प्यार दे, चरणों में बैठा के तार दे प्रेम गली में आके गुजरिया, भूल गई रे घर की डगरिया जब तक साधन, तन मन जीवन सब