सरस्वती नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणीVerified Lyrics 

Sarswati Namstubhy Varde Kamrupini

सरस्वती नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणी
विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा।

माँ शारदे कहाँ तू, वीणा बजा रही है
किस मंजु ज्ञान से तू, जग को लुभा रही हैं
किस भाव में भवानी, तू मग्न हो रही है
विनती नहीं हमारी, क्यों माँ तू सुन रही है

हम दीन बाल कब से, विनती सुना रहें हैं
चरणों में तेरे माता, हम सर झुका रहे हैं
माँ शारदे कहाँ तू, वीणा बजा रही है
ओ किस मंजु ज्ञान से तू, जग को लुभा रही है

अज्ञान तुम हमारा, माँ शीघ्र दूर कर दे
द्रुत ज्ञान शुभ्र हम में, माँ शारदे तू भर दे
अज्ञान तुम हमारा, माँ शीघ्र दूर कर दे
द्रुत ज्ञान शुभ्र हम में, माँ शारदे तू भर दे

बालक सभी जगत के, सूत मात हैं तुम्हारे
प्राणों से प्रिय है हम, तेरे पुत्र सब दुलारे
माँ शारदे कहाँ तू, वीणा बजा रही है

ओ किस मंजु ज्ञान से तू, जग को लुभा रही है
हमको दयामयी तू, ले गोद में पढ़ाओ
अमृत जगत का हमको, माँ शारदे पिलाओ

मातेश्वरी तू सुन ले, सुंदर विनय हमारी
(मातेश्वरी तू सुन ले, सुंदर विनय हमारी)

करके दया तू हर ले, बाधा जगत की सारी
(माँ शारदे कहाँ तू, वीणा बजा रही है)

ओ किस मंजु ज्ञान से तू, जग को लुभा रही है
ओ माँ शारदे कहाँ तू, वीणा बजा रही है

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