अवगुण बहुत किया, गुरु साहब मैंनेVerified Lyrics 

Avgun Bahut Kiya, Guru Sahib Main

॥ दोहा ॥
नुगरा नर तो मत मिलो, चाहे पापी मिलो हजार।
एक नुगरे रे शीश पर, लख पापिया रो पाप॥

अवगुण बहुत किया।
गुरु साहब मैंने, अवगुण बहुत किया॥

नौ-दस मास गर्भ में झूले, जननी को दुखड़ा दिया।
गुरु साहब मैंने, अवगुण बहुत किया॥

जितरा पैर धरिया धरण पे, पग पग पाप किया।
गुरु साहब मैंने, अवगुण बहुत किया॥

जितनी तिरिया देखी में नजर से, मनसा पाप किया।
गुरु साहब मैंने, अवगुण बहुत किया॥

पाप कपट की बांधी गठरियाँ, सिर पर बोझ धरिया।
गुरु साहब मैंने, अवगुण बहुत किया॥

धरमी दास शरण आया कबीर सा, भव से तार दिया।
गुरु साहब मैंने, अवगुण बहुत किया॥

अवगुण बहुत किया।
गुरु साहब मैंने, अवगुण बहुत किया॥

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