Tag: Kabir Bhajan

लहरिया लागी हरि सूं डोरVerified Lyrics 

काया नगर रे बीच में रे, लहरिया लम्बा पेड़ खजूर। चढे तो मेवा चाखले रे, पड़े तो चकना चूर। भजन में खूब रमणा रे, लहरिया हरी सू राखो हेत। प्याला भर-भर पीवणा रे, लहरिया लागी हरि सूं डोर॥ शब्द कटारी बाकड़ी रे, लहरिया गुरु गमरी तलवार। अविनाशी री फौज में रे, कदे नहीं आणो हार।

चदरिया झीनी रे झीनी, राम नाम रस भीनीVerified Lyrics 

कबीरा जब हम पैदा हुये, जग हँसे हम रोये, ऐसी करनी कर चलो, हम हँसे जग रोये, चदरिया झीनी रे झीनी, राम नाम रस भीनी, चदरिया झीनी रै झीनी। अष्ट कमल का चरखा बनाया, पांच तत्व की पूनी, नौ दस मास बुनन को लागे, मूरख मैली किनी, चदरिया झीनी रे झीनी, राम नाम रस भीनी,

अवगुण बहुत किया, गुरु साहब मैंनेVerified Lyrics 

॥ दोहा ॥ नुगरा नर तो मत मिलो, चाहे पापी मिलो हजार। एक नुगरे रे शीश पर, लख पापिया रो पाप॥ अवगुण बहुत किया। गुरु साहब मैंने, अवगुण बहुत किया॥ नौ-दस मास गर्भ में झूले, जननी को दुखड़ा दिया। गुरु साहब मैंने, अवगुण बहुत किया॥ जितरा पैर धरिया धरण पे, पग पग पाप किया। गुरु