हम है वृंदावन के वासी, हम राधे राधे गाते है, हम है वृन्दावन के वासी।। श्री राधा राधा कहने से, राधा कृपा बरसाती है, मिल जाते है कुञ्जबिहारी जी, जीवन की प्यास बुझ जाती है, हम भोर भए वृन्दावन की, परिक्रमा रोज लगाते है, हम है वृन्दावन के वासी…. आनंद नहीं वृन्दावन सो, यहाँ बांके
मन तड़पत हरि दर्श को आज मोरे तुम बिन बिगड़े सकल काज आ, विनती करत, हूँ, रखियो लाज, मन तड़पत… तुम्हरे द्वार का मैं हूँ जोगी हमरी ओर नज़र कब होगी सुन मोरे व्याकुल मन की बात, तड़पत हरि दर्शन… बिन गुरू ज्ञान कहाँ से पाऊँ दीजो दान हरि गुन गाऊँ सब गुनी जन पे
जब जब प्रेमी कही पे कोई रोता है, आँख के आँसू से चरण को धोता है अक्सर तन्हाई मे तुमको पुकारे ना ज़ोर दिल पे चले हारे हारे हारे तुम हारे के सहारे हम हारे हारे हारे तुम हारे के सहारे तू है मेरा इक सावरा, तू है मेरा इक सावरा मई हू तेरा इक
पुत नन्द ते यशोदा देया जाया, तेरी कमली ने कमला बनाया। मैं सुणया कुब्जा ते डुल्या, मथुरा जाके गोकुल भुल्या, जैसे उसने की जादू पाया, तेरी कमली ने कमला बनाया। तेरे सिवा मेरा होर ना दर्दी, इक वारि कर श्यामा नज़र मेहर दी, छड दुनिया नु तेरे दर आया, तेरी कमली ने कमला बनाया। आ
ना मैं मीरा ना मैं राधा, फिर भी श्याम को पाना है। पास हमारे कुछ भी नहीं, केवल भाव चड़ाना है॥ जब से तेरी सूरत देखि, तुम में प्रेम की मूरत देखि। अपना तुम्हे बनाना है, अपना तुम्हे बनाना है॥ और किसी को क्या मैं जानू, अपनी लगन को सब कुछ मानू। दिल का दर्द
कान्हा रे थोडा सा प्यार दे, चरणों में बैठा के तार दे ओ गोरी, घूंघट उतर दे, प्रेम की भिक्षा झोली में डार (डाल) दे कान्हा रे थोडा सा प्यार दे, चरणों में बैठा के तार दे प्रेम गली में आके गुजरिया, भूल गई रे घर की डगरिया जब तक साधन, तन मन जीवन सब
श्यामा आन बसो वृद्धावन में, मेरी उम्र बीत गई गोकुल में, श्यामा रस्ते में भाग लगा जाना, फूल भिनु गी तेरी माला के लिए, तेरी बात निहारु कुंजन में, मेरी उम्र बीत गई गोकुल में। श्यामा आन बसो… श्यामा रस्ते में कुआ खुद वा जाना, मैं तो नीर बरु गी तेरे लिए, मैं तो नीर
बालपन हँसखेल गवाँ दिया, मेरी बहना तरुणाई भई है, वे काम, उमर सारी ढर गई। झूट कपट में ऐसी फँस गई, मेरी बहना लिया न मैंने हरिनाम, उमर सारी ढर गई। मानव तन पायौ बड़े भाग्य से, मेरी बहना भक्ति करूँगी निष्काम, उमर सारी ढर गई। दौलत यहीं पर रह जायगी, मेरी बहना साथ न