मझधार में नैया है राहें अंजानी है मेरे बाबा सुन लो मेरी ये नाव पुरानी है मैं बीच भंवर में हूँ मिलता न किनारा है मेरी डूबती नैया का एक तू ही सहारा है मुझे आस किसी से नहींमुझे आस बढानी है मेरे बाबा सुन लो, मझधार में नैया है दुनिया ने बतलाया तुम माझी
मेरी नैया ये डोलती, इसे किनारा दो, हारा मैं श्याम आके तुम, मुझे सहारा दो, हारा मैं श्याम आके तुम, मुझे सहारा दो।। क्या खता हो गई बता मुझको, अब तो दे खुशियों का पता मुझको, हुआ लाचार ना सता मुझको, बोलते ना तो कम से कम, मुझे इशारा दो, हारा मैं श्याम आके तुम,
श्याम बाबा श्याम बाबा दया करो तेरे दास पे, है चारो और अँधेरा सूजे न सवेरा, होर न कोई बाबा तेरे बिन मेरा, श्याम बाबा श्याम बाबा दया करो तेरे दास पे, रोज मुसीबत बाद मुसीबत आती है, मेरी आत्मा पल पल धीर गवाती है, खुद को खुद से ही बाबा मैं खोता हूँ, महफ़िल
ऐसे कैसे तुझसे बाबा, टूटेगा ये रिश्ता पुराना-२ आधा मैं निभाऊं, आधा तुम निभाना, ऐसे कैसे तुझसे बाबा, टूटेगा ये रिश्ता पुराना। तुझे बाबा हम तो, किसी को ना जाने-२ बस तुझे पहचाने, हाथ हाथों से ना छुड़ाना, आधा मैं निभाऊं, आधा तुम निभाना, ऐसे कैसे तुझ से बाबा, टूटेगा ये रिश्ता पुराना। पूजा विधि
मंदरिये में आके थारे साँवरा, जाणे को मन कोन्या रे करे, देवरीये में आके थारे साँवरा, जाणे को मन कोन्या रे करे। देसी घी को खाणों बाबा, घणो म्हानें भावे है, खाणे में बाबा म्हाने स्वाद घणों आवे है, पेट भर ज्यावा म्हारा साँवरा, पर मन म्हारो कोन्या रे भरे, मंदरिये में आके थारे साँवरा,
दोहा – यहाँ जो हर तरफ, उजाला सा दिखाई देता है, श्याम की ज्योति का, जलवा दिखाई देता है। यही इच्छा है मेरी ऐ श्याम, वहां जा के दम निकले, जहाँ से तेरा द्वारा दिखाई देता है॥ मर कर भी है अमर, जो दीवाने है श्याम के, ऐलान अपना कर, ऐलान अपना कर, ऐलान अपना
तर्ज – है प्रीत जहाँ की रीत सदा। खाटू में जब जब ग्यारस की, शुभ रात जगाई जाती है। बैठा के सामने बाबा को, हर बात बताई जाती है। खाटू में जब जब ग्यारस की। 1 । दरबार में बैठा हर प्रेमी, भजनो से तुम्हे रिझाता है। तेरी देख रेख में वो अपना, परिवार छोड़
ओ बाबा लाज तू रखियो, रखियो, तेरे भरोसे हूँ, नजरों से दूर ना करियो करियो, तेरे भरोसे हूँ, मैं ही तेरा, तू है मेरा, सुन ले ओ मेरे साँवरे, मैंने जब से बाबा तेरे दर पे शीश झुकाया, हर मुश्क़िल मैं हर विपदा तूने साथ निभाया, शान से रहता हूँ मैं बाबा, देखें आज ज़माना,
श्याम सवेरे देखु तुझको कितना सुंदर रूप है…..(2) तेरा साथ ठंडी छाया बाकी दुनिया धूप है….(2) जब जब भी इसे पुकारू मैं, जब जब भी इसे पुकारू मैं, तस्वीर को इसकी निहारू मैं, तस्वीर को इसकी निहारू मैं, जब जब भी इसे पुकारू मैं, तस्वीर को इसकी निहारू मैं, ओह मेरा श्याम आ जाता मेरे
बुलावो जो तुम प्रभु को, प्रेम से बुलाना, प्रेम से बुलाना, प्रेमियों के घर में रहता, इनका आना जाना, बुलावो जो तुम प्रभु को, प्रेम से बुलाना, प्रेम से बुलाना, प्रेमियों के घर में रहता, इनका आना जाना, बुलावो जो तुम प्रभु को… पासे में दुर्योधन, जब पांडव को हराया था, और भरी सभा में