विघ्न विनाशक गणराय, भय से मुक्त करे, इसकी दया से भक्तों की, भव से नाव तरे, पार्वती लाल का मन से, भजन तू करता जा, करुणा की इस मूर्त से, मन वांछित फल तु पा, जिसके घर में गणराय के, नाम का दीप जले, उस घर के हर जीव की, हर एक बाधा टले, जिनपे
तर्ज – है प्रीत जहाँ की रीत सदा। खाटू में जब जब ग्यारस की, शुभ रात जगाई जाती है। बैठा के सामने बाबा को, हर बात बताई जाती है। खाटू में जब जब ग्यारस की। 1 । दरबार में बैठा हर प्रेमी, भजनो से तुम्हे रिझाता है। तेरी देख रेख में वो अपना, परिवार छोड़
प्रेम की बात निराली है, जिसने प्रेम किया न हरि से, वो नर खाली है, प्रेम की बात…. प्रेम किया मीरा बाई विष पी गई प्याली है, धन्य जाट के होवष में प्रभु बन गया हाली है, प्रेम की बात…. प्रेम किया कर्मा बाई ने लेकर चाली है, खीचड़लो लेकर चाली है अरे श्याम खीचड़ो
तेरी रेहमतो का दरिया सरेआम चल रहा है, मुझे भीख मिल रही है तो काम चल रहा है। मेरे दिल की धड़कनो में, है शरीक नाम तेरा, तेरे नाम के सहारे, मेरा नाम चल रहा है, मुझे भीख मिल रही है, मेरा काम चल रहा है। तेरी आशिकी से पहले मुझे कौन जनता था, तेरे
ओ बाबा लाज तू रखियो, रखियो, तेरे भरोसे हूँ, नजरों से दूर ना करियो करियो, तेरे भरोसे हूँ, मैं ही तेरा, तू है मेरा, सुन ले ओ मेरे साँवरे, मैंने जब से बाबा तेरे दर पे शीश झुकाया, हर मुश्क़िल मैं हर विपदा तूने साथ निभाया, शान से रहता हूँ मैं बाबा, देखें आज ज़माना,
मेरी राखी की डोर कभी हो ना कमज़ोर भैया दे दो कलाई, बहन आई है मेरी राखी की डोर कभी हो ना कमज़ोर भैया दे दो कलाई, बहन आई है मेरी राखी की डोर कभी हो ना कमज़ोर भैया दे दो कलाई, बहन आई है भैया दे दो कलाई, बहन आई है कितना रिश्ता है
बोले रे मन हरे कृष्णा हरे राधा रमन हरी गोविन्द जय बोले रे मन हरे कृष्णा हरे हे मेरे गिरिधर हे गोपाला तू ही दुःख दूर करे हरे कृष्णा हरे, हरे कृष्णा हरे हरे राम हरे, हरे कृष्णा हरे अंधेरों में जलते दिए सा साँचा तेरा नाम रे कान्हा चांदी सोने से भी खरा है
श्याम सवेरे देखु तुझको कितना सुंदर रूप है…..(2) तेरा साथ ठंडी छाया बाकी दुनिया धूप है….(2) जब जब भी इसे पुकारू मैं, जब जब भी इसे पुकारू मैं, तस्वीर को इसकी निहारू मैं, तस्वीर को इसकी निहारू मैं, जब जब भी इसे पुकारू मैं, तस्वीर को इसकी निहारू मैं, ओह मेरा श्याम आ जाता मेरे
म्हारी हालो ये रेल भवानी सतगुरु जी के चला देश(2) म्हारी हालो ये… जब हुई टिकट की त्यारी म्हारा सतगुरु खोली बारी, इमे बैठ सभी नर नारी सुमरला देव गणेश। म्हारी हालो ये… इंजन न मारी सिटी म्हारा सतगुरु बंगा टीटी, आ दुनिया रेगी रीति, जाका चड़ ग्या भरम कलेश। म्हारी हालो ये… आ हरियल