जब से नाम लिया है तेरा जुड़ गया तार से तार बदल गया दुनिया का नजरिया बदल गया संसार श्याम दिन फिर गए मेरे कुछ भी नहीं था पास में मेरे हार के आया बाबा पास में तेरे हारे का साथी बनकरके किया बहुत उपकार बदल गया दुनिया का नजरिया बदल गया संसार श्याम दिन
राम कृष्ण हरि मुकुंद मुरारि . पांडुरंग पांडुरंग राम कृष्ण हरि .. विट्ठल विट्ठल पांडुरंग राम कृष्ण हरि . पांडुरंग पांडुरंग राम कृष्ण हरि .. मुकुन्द माधव गोविन्द मुकुन्द माधव गोविन्द बोल केशव माधव हरि हरि बोल .. हरि हरि बोल हरि हरि बोल . कृष्ण कृष्ण बोल कृष्ण कृष्ण बोल .. राम राम बोल
गंगा-यमुना तुम ही बता दो, मेरे राम वन वन भटक रहे, मेरी सिया गई तो कहां गई, पेड़ और पौधों तुम ही बता दो, क्या फूलों में वो समाए गई, मेरी सिया गई तो कहां गई मेरे राम वन वन भटक रहे मेरी सिया गई तो कहां गई क्या लहरों में वो समाए गई, मेरी
करुणा भरी पुकार सुन अब तो पधारो मोहना, कृष्ण तुम्हारे द्वार पर आया हूँ मैं अति दीन हूँ, करुणा भरी निगाह से अब तो पधारो मोहना… कानन कुण्डल शीश मुकुट गले बैजंती माल हो, सांवरी सूरत मोहिनी अब तो दिखा दो मोहना… पापी हूँ अभागी हूँ दरस का भिखारी हूँ, भवसागर से पार कर अब
कन्हैया कन्हैया तुझे आना पड़ेगा आना पड़ेगा, वचन गीता वाला निभाना पड़ेगा.. गोकुल में आया मथुरा में आ छवि प्यारी प्यारी कहीं तो दिखा, अरे सांवरे देख आ के ज़रा सूनी सूनी पड़ी है तेरी द्वारिका.. जमुना के पानी में हलचल नहीं, मधुबन में पहला सा जलथल नहीं, वही कुंज गलियाँ वही गोपिआँ, छनकती मगर
आओ आओ यशोदा के लाल, आज मोहे दरशन से कर दो निहाल, आओ आओ आओ आओ यशोदा के लाल… नैया हमारी भंवर मे फंसी, कब से अड़ी उबारो हरि, कहते हैं दीनों के तुम हो दयाल -2 आओ आओ आओ आओ यशोदा के लाल… अबतो सुनलो पुकार मेरे जीवन आधार, भवसागर है अति विशाल, लाखों
प्रबल प्रेम के पाले पड़ कर प्रभु को नियम बदलते देखा, अपना मान भले टल जाये भक्त मान नहीं टलते देखा.. जिसकी केवल कृपा दृष्टि से सकल विश्व को पलते देखा, उसको गोकुल में माखन पर सौ सौ बार मचलते देखा.. जिस्के चरण कमल कमला के करतल से न निकलते देखा, उसको ब्रज की कुंज
जय कृष्ण हरे श्री कृष्ण हरे.. दुखियों के दुख दूर करे जय जय कृष्ण हरे .. जब चारों तरफ़ अंधियारा हो आशा का दूर किनारा हो . जब कोई ना खेवन हारा हो तब तू ही बेड़ा पार करे . तू ही बेड़ा पार करे जय जय जय कृष्ण हरे .. तू चाहे तो सब
तू राम भजन कर प्राणी, तेरी दो दिन की जिन्दगानी। काया-माया बादल छाया, मूरख मन काहे भरमाया॥ उड़ जायेगा साँसका पंछी, फिर क्या है आनी-जानी। तू राम भजन कर प्राणी… जिसने राम-नाम गुन गाया, उसको लगे ना दुखकी छाया। निर्धनका धन राम-नाम है, मैं हूँ राम दिवानी। तू राम भजन कर प्राणी… जिनके घरमें माँ
जीने का सहारा तेरा नाम रे मुझे दुनिया वालों से क्या काम रे झूठी दुनिया झूठे बंधन, झूठी है ये माया झूठा साँस का आना जाना, झूठी है ये काया ओ, यहाँ साँचा तेरा नाम रे बनवारी रे … रंग में तेरे रंग गये गिरिधर, छोड़ दिया जग सारा बन गये तेरे प्रेम के जोगी,