मिश्री से मिठो नाम, हमारी राधा रानी को, राधा रानी को, हमारी श्यामा प्यारी को, मिश्री ते मिठो नाम, हमारी… बाबा है वृषभान कुंवर जी, मैया कीर्ति-२ ब्रज में बरसानो धाम, हमारी राधा रानी को, मिश्री ते मिठो नाम, हमारी… तीन लोक चौदह भवनो की, स्वामिनी श्यामा जु-२ चरणन को चाकर श्याम, हमारी राधा रानी
मन लेके आया माता रानी के भवन में, बड़ा सुख पाया बड़ा सुख पाया, माता रानी के भवन में, जय जय माँ, अम्बे माँ, जय जय माँ, जगदम्बे माँ मैं जानू वैष्णव माता, तेरे ऊँचे भवन की माया। भैरव पर क्रोध में आके माँ तूने त्रिशूल उठाया। वो पर्बत जहां पे तूने शक्ति का रूप
आया में आया बाबा में तो आया-२ तुझे अपना हाल दिखने सोई तकदीर जगाने -२ तुझे अपना श्याम बनाने तुझे दिल से श्याम रिझाने, आया में आया बाबा में तो… कहते है लोग तुझे लखदातारी, खाटू के श्याम बाबा संकटहारी, मरे संकट दूर भगा दे मुरझाये फूल खिलादे-२ रोते को श्याम हसा दे प्रभु प्रेम
नौ नौ रूप मैया के तो, बड़े प्यारे लागे-२ सबसे प्यारे माँ के, भवनो के नजारे लागे, सबसे प्यारे माँ के, भवनो के नजारे लागे॥ प्रथम पूज्य है शैलपुत्री, दूजी ब्रम्ह्चारणी, भक्त जनो को भव सागर से, पार उतारनी, तीनो लोको में मैया के-२ जय जयकारे लागे, सबसे प्यारे माँ के, भवनो के नजारे लागे॥
तर्ज:- अफसाना लिख रही हूँ। तेरी खाटू की नगरिया, मनै लागै प्यारी-प्यारी। प्रेम नज़र तेरी हो जाये तो खिल जाए फुलवारी ।। तेरे दर्शन पावण की बाबा, मेरै लगन लगी दिल म। बस तू ही तू दिखै सै, न्यू ज्योत जगी दिल म। तेरी सूरत बसगी दिल म, हे बाबा चमत्कारी।। प्रेम नज़र तेरी… |
प्रभु अपने दर से, अब तो ना टालों, गिरा जा रहा हूँ, उठा लो उठा लो-२ (प्रभु अपने दर से, अब तो ना टालो, गिरा जा रहा हूँ, उठा लो उठा लो) खाली ना जाता कोई दर से तुम्हारे, द्वारे खड़ा हूँ नन्ही बाहें पसारे, चरणों की सेवा में, लगा लो लगा लो, गिरा जा
सहारा मिलेगा सहारा मिलेगा, हरि नाम गा लो सहारा मिलेगा, भटकती है नैय्या किनारा मिलेगा, हरि नाम गा लो सहारा मिलेगा। चुभेंगे ना दुख दर्द त्रिशूल बनकर, महकने लगोगे एक फूल बनकर, जब उसकी कृपा का इशारा मिलेगा, राधा नाम गा लो सहारा मिलेगा। अगर तुम रहोगे हरि की नजर में, ना जीवन की नैय्या
कबीरा जब हम पैदा हुये, जग हँसे हम रोये, ऐसी करनी कर चलो, हम हँसे जग रोये, चदरिया झीनी रे झीनी, राम नाम रस भीनी, चदरिया झीनी रै झीनी। अष्ट कमल का चरखा बनाया, पांच तत्व की पूनी, नौ दस मास बुनन को लागे, मूरख मैली किनी, चदरिया झीनी रे झीनी, राम नाम रस भीनी,
कीड़ी ने कण हाथी ने मण, सगलो हिसाब चुकावे है, खाटू माही बैठा संवारा सारा खेल रचावे है, जो जल में रवे जीव जंतु वो जल में सब पावे है, जो रवे है इधर धरती पर बई धरती सु पावे है, जारी जितनी चौकस हॉवे, बितनो ही चुगो चुगावें है, खाटू माही बैठा संवारा सारा