तेरह पेड़िया ऊपर म्हारे, श्याम को बंगलो।-2 सारे जग में राज करे है, म्हारो सेठ सावरों। सेठ सावरों जी, म्हारो सेठ सावरों || पहली पेड़ी पग धरताही, मिट जा सब संताप। दूजी तीजी पेड़ी करदे, मैल मना का साफ़। ओ चौथी पेड़ी चढ़ता भूल्या, दुनियादारी को रगड़ो। सारे जग में राज करे है, म्हारो सेठ
बात हमारी बड़े पते की, गौर होना चाहिए -2 आ गया फागुन मेला अब तो, शोर होना चाहिए बात हमारी बड़े पते की, गौर होना चाहिए रंग रंगीला खाटू मेला सारे खाटू धाम चलो। सारे खाटू धाम चलो-2 लेकर करके निशान हाथ में सारे बाबा की और बढ़ो तुम बाबा की और बढ़ो -2 इस
बन्दे अब छोड़ दे हड़बड़ी, श्याम भज ले घड़ी दो घड़ी। हो, जीत जाएगा तू हर कदम पर, इसकी नजरें जो तुझपे पड़ी, श्याम भज ले घड़ी दो घड़ी। बन्दे अब छोड़ दे हड़ बड़ी, श्याम भज ले घड़ी दो घड़ी। झूठी दुनियाँ से रिश्ता है क्या, हँसतो को रुलाती हैं, उस वक़्त हमें बाबा,
गली गली एलान होना चाहिए, हर मंदिर में श्याम होना चाहिए। दुनिया में हारे का सहारा, केवल बाबा श्याम है, हारे हुए को जीत दिलाना, बाबा की पहचान है, दुनिया को ये ज्ञान होना चाहिए, हर मंदिर में श्याम होना चाहिए, गली गली ऐलान होना चाहिए, हर मंदिर में श्याम होना चाहिए। अगर श्याम से
जिसने भी मेरे श्याम को दिल से सज़ा दिया, जीवन को उसके श्याम ने सुंदर बना दिया। बाँगा घेर घूमेर जो बाबा ने लपेटा है, उस घेरे में भगतो के दर्दों को समेटा है, दिल के दुखड़े श्याम को जिसने सुना दिया, जिसने भी मेरे श्याम को दिल से सज़ा दिया, जीवन को उसके श्याम
बाबुल बुलावे म्हाने गाँव रे, म्हानें पिहरियो सो लागे खाटू धाम, रहबा दो म्हाने पिहरिये, बाबुल बुलावे म्हाने गाँव रे। सखी बाबुल बुलावे म्हाने गाँव, म्हानें पिहरियो सो लागे खाटू धाम, रहबा दो म्हाने पिहरिये, म्हानें पिहरियो सो लागे खाटू धाम, रहबा दो म्हाने पिहरिये। मिलने का दिन गिन गिन काटा, जद या ग्यारस आवे-२
कीड़ी ने कण हाथी ने मण, सगलो हिसाब चुकावे है, खाटू माही बैठा संवारा सारा खेल रचावे है, जो जल में रवे जीव जंतु वो जल में सब पावे है, जो रवे है इधर धरती पर बई धरती सु पावे है, जारी जितनी चौकस हॉवे, बितनो ही चुगो चुगावें है, खाटू माही बैठा संवारा सारा
सजने का हैं शौकीन,कोई कसर न रह जाये। ऐसा कर दो श्रृंगार,सब देखते रह जाये। सजने का है शौकीन … जब सांवरा सजता हैं, सारी दुनिया सजती हैं। बाबा पे इत्तर छिड़कते हैं,सारी दुनिया महकती हैं। बागों का हर एक फूल,गजरे में लग जाये। ऐसा कर दो श्रृंगार … जब कान्हा मुस्काये, शीशा भी चटक
मंदरिये में आके थारे साँवरा, जाणे को मन कोन्या रे करे, देवरीये में आके थारे साँवरा, जाणे को मन कोन्या रे करे। देसी घी को खाणों बाबा, घणो म्हानें भावे है, खाणे में बाबा म्हाने स्वाद घणों आवे है, पेट भर ज्यावा म्हारा साँवरा, पर मन म्हारो कोन्या रे भरे, मंदरिये में आके थारे साँवरा,