ऐ री नैनन में श्याम समाए गयो, मोहे प्रेम का रोग लगाए गयो॥ लुट जाउंगी श्याम तोरी लटकन पे, बिक जाउंगी श्याम तोरी मटकन पे, वो तो मधुर मधुर मुस्काय गयो, मोहे प्रेम का रोग लगाए गयो। ऐ री नैनन में श्याम समाए गयो, मोहे प्रेम का रोग लगाए गयो॥ मर जाउंगी श्याम तोरी नैनन
कन्हैया तुम्हे एक नजर देखना है, जिधर तुम छुपे हो उधर देखना है।। अगर तुम हो दीनो के आहो के आशिक, तो आहो का अपना असर देखना है। [जिधर तुम छुपे… देखना है।] उबारा था जिस हाथ ने गिद्ध गज को, उसी हाथ का अब असर देखना है। [जिधर तुम छुपे… देखना है।] विधुर भीलनी
राधे कृष्ण की ज्योति अलौकिक, तीनो लोक में छाए रही है॥ भक्ति विवश एक प्रेम पुजारिन, फिर भी दीप जलाये रही है। कृष्ण को गोकुल से राधे को, (कृष्ण को गोकुल से राधे को) बरसाने से बुलाय रही है॥ दोनों करो स्वीकार कृपा कर, जोगन आरती गाये रही है, दोनों करो स्वीकार कृपा कर, जोगन
अमृत है हरि नाम जगत में, इसे छोड़ विषय विष पीना क्या, हरि नाम नही तो जीना क्या। काल सदा अपने रस डोले, ना जाने कब सिर चढ़ बोले, हरि का नाम जपो निसवासर, इसमें अब बरस महिना क्या। हरि नाम नही तो जीना क्या। तीर्थ है हरि नाम तुम्हारा, फिर क्यों फिरता मारा-मारा, अंत
राधे राधे राधे बोल मना, तन का क्या पता, राधे राधे राधे बोल मना, तन का क्या पता। मन तो है चंचल, तन तो है पिंजरा, पिंजरे में है तेरा वास, मन तो है चंचल, तन तो है पिंजरा, पिंजरे में है तेरा वास, राधे राधे राधे बोल मना, तन का क्या पता। राधा है
मीठी बाँसुरी बजा नंदलाल गोकुल का काकड में, (मीठी बाँसुरी बजा नंदलाल गोकुल का काकड में) काकड में रे कान्हा रे काकड में॥ आपा गाया चरासा दिनभर साथ गोकुल का काकड में, (आपा गाया चरासा दिनभर साथ गोकुल का काकड में) काकड में रे कान्हा रे काकड में कान्हा रे काकड, मीठी बाँसुरी बजा नंदलाल
ना मैं मीरा ना मैं राधा, फिर भी श्याम को पाना है। पास हमारे कुछ भी नहीं, केवल भाव चड़ाना है॥ जब से तेरी सूरत देखि, तुम में प्रेम की मूरत देखि। अपना तुम्हे बनाना है, अपना तुम्हे बनाना है॥ और किसी को क्या मैं जानू, अपनी लगन को सब कुछ मानू। दिल का दर्द
श्यामा आन बसो वृद्धावन में, मेरी उम्र बीत गई गोकुल में, श्यामा रस्ते में भाग लगा जाना, फूल भिनु गी तेरी माला के लिए, तेरी बात निहारु कुंजन में, मेरी उम्र बीत गई गोकुल में। श्यामा आन बसो… श्यामा रस्ते में कुआ खुद वा जाना, मैं तो नीर बरु गी तेरे लिए, मैं तो नीर
बालपन हँसखेल गवाँ दिया, मेरी बहना तरुणाई भई है, वे काम, उमर सारी ढर गई। झूट कपट में ऐसी फँस गई, मेरी बहना लिया न मैंने हरिनाम, उमर सारी ढर गई। मानव तन पायौ बड़े भाग्य से, मेरी बहना भक्ति करूँगी निष्काम, उमर सारी ढर गई। दौलत यहीं पर रह जायगी, मेरी बहना साथ न