गंगा-यमुना तुम ही बता दो, मेरे राम वन वन भटक रहे, मेरी सिया गई तो कहां गई, पेड़ और पौधों तुम ही बता दो, क्या फूलों में वो समाए गई, मेरी सिया गई तो कहां गई मेरे राम वन वन भटक रहे मेरी सिया गई तो कहां गई क्या लहरों में वो समाए गई, मेरी
तू राम भजन कर प्राणी, तेरी दो दिन की जिन्दगानी। काया-माया बादल छाया, मूरख मन काहे भरमाया॥ उड़ जायेगा साँसका पंछी, फिर क्या है आनी-जानी। तू राम भजन कर प्राणी… जिसने राम-नाम गुन गाया, उसको लगे ना दुखकी छाया। निर्धनका धन राम-नाम है, मैं हूँ राम दिवानी। तू राम भजन कर प्राणी… जिनके घरमें माँ
राम जी के नाम ने तो पत्थर भी तारे, जो न जपे राम नाम वो हैं किस्मत के मारे।। राम जी के नाम को शिवजी ने ध्याया, तुलसी ने राम जी से सरबस पाया, कविरा तो भजन कर कर भए मतवारे।। राम जी के नाम ने तो पत्थर भी तारे, राम नाम अमृत है राम
हे रोम रोम में बसने वाले राम, जगत के स्वामी, हे अन्तर्यामी, मैं तुझसे क्या मांगूं॥ आप का बंधन तोड़ चुकी हूं, तुझ पर सब कुछ छोड़ चुकी हूं। नाथ मेरे मैं, क्यूं कुछ सोचूं, तू जाने तेरा काम॥ जगत के स्वामी, हे अन्तर्यामी, मे तुझ से क्या मांगूं। हे रोम रोम मे बसने वाले
टेक:- सुन शबरी बात हमारी जप तप ब्रत योग बिधाना बहुदेव पुराण बखानारी सबसे मम भक्ति सुखारी, सुन शबरी…। कोई छाप तिलक तन धारे कोई जटा विभूति रमावे री मुझे प्रेम भक्ति एक प्यारी, सुन शबरी…। नही कुल जाति मैं जानूँ निज भक्त ऊंच कर मानू री यह सत्य बचन निर्धारी, सुन शबरी…। तुझ प्रेम
राम हैं स्वनाम धन्य, राम धन्य नाम, राम को प्रणाम, राम नाम को प्रणाम, राम भजन कर मन….. ओ मन रे कर तू राम भजन कर मन।। सब में राम, राम में है सब, तुलसी के प्रभु, नानक के रब्ब राम रमईया घट-घट वासी, सत्य कबीर बचन… राम भजन कर मन।। राम नाम में पावत
राम नाम सोहि जानिये, जो रमता सकल जहान, घट घट में जो रम रहा, उसको राम पहचान, तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार, उदास मन काहे को करे। नैया तेरी राम हवाले, लहर लहर हरि आप सँभाले।। हरि आप ही उठावे तेरा भार, उदास मन काहे को करे। काबू में मँझधार उसी के, हाथों में पतवार
राम नाम जपते रहो, जब तक घाट घाट मैं प्राण। राम भजो, राम रटो, राम साधो, राम राम राम राम की महिमा का, कोइ अर ना कोई प्यार रे। लाख जाटान की, फिर भी ना समाज संसार रे। राम के चरणन मिले, क्या जग के सारे धाम। राम भजो, राम रटो, राम साधो, राम राम
टेर:- आओ भाई सब मिलकर बोलो राम-राम-राम गर्भवास में कौल किया था, समरुँगा यह बोल दिया था। बाहर आकार भूल्यो हरि को नाम-नाम-नाम॥1॥ मात-पिता बन्धु सुत दारा, स्वार्थ है जब तू लगता प्यारा। बात न पूछे जब हो जावे बे काम काम काम॥2॥ जिसके खतिर पाप कमावै , धरणी-धन यहाँ ही रह जावै। देख नजर
बोलो राम जय जय राम, जन्म सफल होगा बन्दे, मन में राम बसा ले, हे राम नाम के मोती को, सांसो की माला बना ले, राम पतित पवन करुनाकर, और सदा सुख दाता, सरस सुहावन अति मनभावन, राम से प्रीत लगा ले, मन में राम बसा ले, मोह माया है झूटा बन्धन, त्याग उसे तू