सुन शबरी बात हमारीVerified Lyrics  

Sun Shabri Baat Hamari

टेक:- सुन शबरी बात हमारी
जप तप ब्रत योग बिधाना
बहुदेव पुराण बखानारी
सबसे मम भक्ति सुखारी, सुन शबरी…।

कोई छाप तिलक तन धारे
कोई जटा विभूति रमावे री
मुझे प्रेम भक्ति एक प्यारी, सुन शबरी…।

नही कुल जाति मैं जानूँ
निज भक्त ऊंच कर मानू री
यह सत्य बचन निर्धारी, सुन शबरी…।

तुझ प्रेम हेत हम आये
तेरे हाथ बेर फल खाएरी
ब्रह्मानंद हो मोक्ष तुम्हारी, सुन शबरी…।

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