Tag: Chetawani Bhajan

गुरु देव जगावे सूतोड़ा जागो Guru Dev Jagave Sutoda Jago hit lyricsverified 

मारवाड़ी में :Guru Dev Jagave Sutoda Jago hit lyrics गुरु देव जगावे, सूतोड़ा जागो। राम जी रा भजना सु, कइया भागो। राजाराम जी रा, भजना सु, कइया भागो। काई रे काम करवा, भेज्यो रे राम जी। काई काम करण, थारो मन लागो। राम जी रा भजना सु, कइया भागो। गुरु देव जगावे, सूतोड़ा जागो। रामजी

मन रे काई करबा ने आयोVerified Lyrics 

मन रे काई करबा ने आयो, वृथा जन्म लियो धरती पर। जन्म लेर पछतायो॥ मिनख जमारो दियो रामजी, प्रारब्ध से पायो। थारी-म्हारी करता करता, कदै न हरि गुण गायो। मन रे कांई करबा ने आयो॥ मृग-तृष्णा में फंसग्यो भान्दू, दौड़-दौड़ कर धायो। कदै न प्यास मिटी न थारी, सूखो सरवर पायो। मन रे कांई करबा

जीवन बहता पानी रे, प्राणी काहे करे तूँ गुमानVerified Lyrics 

जीवन बहता पानी रे, प्राणी काहे करे तूँ गुमान रे। करे तू गुमान रे, अरे इंसान रे॥ दो दिन की जिंदगानी रे, प्राणी काहे, करे तूँ गुमान रे। जीवन बहता पानी रे, प्राणी काहे, करे तूँ गुमान रे॥ धन और दौलत, बड़ा ही कमाया, इस माया ने, हरि को भुलाया, माया तो, आनी है जानी

क्यों बन रहा तू जिव भिखारीVerified Lyrics 

क्यों बन रहा तू जिव भिखारी, तू शुद्ध चेतन ब्रह्मा अपार। मल माया और कर्म अज्ञाना, ग्रंथि चार माहि जिव बंधाना। खुले तो पावे पद निर्वाणा, हो ब्रह्मरूप ततसार। सतगुरु मिले उपकारी, क्यों बन रहा तू जिव भिखारी॥ जिव ब्रह्मा में अंतर ऐसा, घटाकाश महाकाश जैसा। घट फूटे वैसा का वैसा, श्रुति संत कियो निर्धर।

उड़ जायेगा एक दिन पंछी, रहेगा पिंजरा खालीVerified Lyrics 

ये मंजिल आख़िरी है, कब्र ही तेरा ठिकाना है, ये रिश्ते तोड़ने हैं, और ये दुनियाँ छोड़ जाना है, जिंदगी उसकी अमानत है, सभी को एक ना दिन, मौत का कर्जा चुकाना है। तू लाख इफाजत कर ले, तू लाख़ करे रखवाली, उड़ जायेगा एक दिन पंछी, रहेगा पिंजरा खाली। ना कोई अंजुमन होगी, ना

जिन्दगी एक किराये का घर हैVerified Lyrics 

जिन्दगी एक किराये का घर है, एक न एक दिन बदलना पड़ेगा। मौत जब तुझको आवाज देगी, घर से बाहर निकलना पड़ेगा। रूठ जायेंगी जब तुझसे खुशियाँ, गम के साँचे में ढलना पड़ेगा। वक्त ऐसा भी आयेगा नादान, तुझको काँटों पे चलना पड़ेगा। इतना मासूम हो जाएगा तू , इतना मजबूर हो जाएगा तू। ये

भजन बिना तन राख की ढेरी

भजन बिना तन राख की ढेरी, जीवन रैन अँधेरी-२ क्यों मुरख मन भटक रहा है, लोभ मोह में अटक रहा है, भूल रहा भागवत की महिमा, मति मारी है तेरी हाय… जीवन रैन अँधेरी। भजन बिना तन राख… नाम मिलाता हरि से प्यारे, ताम मिटाता सब अंधियारे, मौत को भी हरि भजन मिटाता, है चरनन