भजन बिना तन राख की ढेरी

Bhajan Bina Tan Rakh Ki Dheri

भजन बिना तन राख की ढेरी, जीवन रैन अँधेरी-२

क्यों मुरख मन भटक रहा है,
लोभ मोह में अटक रहा है,
भूल रहा भागवत की महिमा,
मति मारी है तेरी हाय… जीवन रैन अँधेरी।
भजन बिना तन राख…

नाम मिलाता हरि से प्यारे,
ताम मिटाता सब अंधियारे,
मौत को भी हरि भजन मिटाता,
है चरनन की चेली, जीवन रैन अँधेरी।
भजन बिना तन राख…

रोम रोम में राम रमा है,
राम नाम पर जगत थमा है,
राम भजन करले मेरे भाई,
बात मानले मेरी, जीवन रैन अँधेरी।
भजन बिना तन राख…

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