जिन्दगी एक किराये का घर हैVerified Lyrics 

Zindagi Ek Kiraye Ka Ghar Hai

जिन्दगी एक किराये का घर है,
एक न एक दिन बदलना पड़ेगा।
मौत जब तुझको आवाज देगी,
घर से बाहर निकलना पड़ेगा।

रूठ जायेंगी जब तुझसे खुशियाँ,
गम के साँचे में ढलना पड़ेगा।
वक्त ऐसा भी आयेगा नादान,
तुझको काँटों पे चलना पड़ेगा।

इतना मासूम हो जाएगा तू ,
इतना मजबूर हो जाएगा तू।
ये जो मखमल का चोला है तेरा ,
ये कफन में बदलना पड़ेगा।

कर ले ईमान से दिल की सफाई,
छोड़ दे छोड़ दे तू बुराई।
वक्त बाकी है अब भी संभल जा,
वरना दोजख में जलना पड़ेगा।

ऐसी हो जाएगी तेरी हालत,
काम आयेगी दौलत ना ताकत।
छोड़कर अपनी ऊँची हवेली,
तुझको बाहर निकलना पड़ेगा।

जलवा-ए-हुस्न भी जाबजां है,
और खतरात भी है ज्यादा।
जिन्दगानी का ये रासता है,
हर कदम पर संभलना पड़ेगा।

बाप बेटे ये भाई भतीजे,
तेरे साथी है सब जीते जी के।
अपने आँगन से उठना पड़ेगा,
अपनी चौखट से ढलना पड़ेगा।

है बहुत ही बुरी चीज दुनियाँ,
क्यूं समझता है दुनियाँ को अपना।
बाज आजा गुनाहों से वरना,
उम्र भर हाथ मलना पड़ेगा।

प्यार से सबको अपना बना ले,
जिस कदर हो सके तू दुआ ले।
मत लगा आग नफरत की नादान,
वरना तुझको भी जलना पड़ेगा।

बाल से भी बारीक है रस्ता,
और तलवार से तेजतर है।
उसपे गठरी गुनाहों की लेकर,
हश्र में तुझको चलना पड़ेगा।

गम के हारों की हालत पे नादां,
हँस रहा है मगर याद रख ले।
अश्क बन-बन के आँखों से अपनी,
एक दिन तुझको ढलना पड़ेगा।

कब्र में जिस घड़ी जाएगा तू ,
नेकियाँ काम आएंगी तेरे।
बाज आजा गुनाहों से वरना,
हश्र तक हाथ मलना पड़ेगा।

चाहता है अगर सुर्ख रूई,
चाहता है अगर नेक नामी।
ये अदा छोड़नी होगी तुझको,
इस चलन को बदलना पड़ेगा।

है अगर तुझको इन्सान बनना,
तो ये पेशर मेरी बात सुन ले।
छोड़नी होगी हर एक बुराई,
ख्वाहिशों को कुचलना पड़ेगा।

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