क्यों बन रहा तू जिव भिखारीVerified Lyrics 

Kyo Ban Raha Tu Jiv Bhikhari

क्यों बन रहा तू जिव भिखारी, तू शुद्ध चेतन ब्रह्मा अपार।
मल माया और कर्म अज्ञाना, ग्रंथि चार माहि जिव बंधाना।
खुले तो पावे पद निर्वाणा, हो ब्रह्मरूप ततसार।
सतगुरु मिले उपकारी, क्यों बन रहा तू जिव भिखारी॥

जिव ब्रह्मा में अंतर ऐसा, घटाकाश महाकाश जैसा।
घट फूटे वैसा का वैसा, श्रुति संत कियो निर्धर।
कहा अकल गई तुम्हारी, क्यों बन रहा तू जिव भिखारी॥

कारण उपाधि ईश्वर गायो, कार्य उपाधि जिव बतायो।
शेष रहयो सो ब्रह्मा कहायो, गुणगोतित अमल अविकार।
निज रूप लखो नर नारी, क्यों बन रहा तू जिव भिखारी॥

जिव ब्रह्म का भर्म नहीं, भर्म बताना धर्म नहीं है।
अब भी तुझको शर्म नहीं है, क्यों बुद्धि गई बेकार।
नास्तिकता उर में धारी, क्यों बन रहा तू जिव भिखारी॥

जीवपना तुझमे नहीं भाई, तू शुध्द चेतन ब्रह्मा सुखदाई।
वृथा पड़ा क्यों भर्म के माहि, गुरुमुख वेदांत विचार।
छूटेगी संशय भारी, क्यों बन रहा तू जिव भिखारी॥

रामभारती समर्थ पाया, जिव भाव मन का बिसराया।
कल्याण भारती कथकर गाया, दिया शब्द बाण फटकार।
सब संशय दूर निवारी, क्यों बन रहा तू जिव भिखारी॥

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