ओ बाबा लाज तू रखियो, रखियो, तेरे भरोसे हूँ, नजरों से दूर ना करियो करियो, तेरे भरोसे हूँ, मैं ही तेरा, तू है मेरा, सुन ले ओ मेरे साँवरे, मैंने जब से बाबा तेरे दर पे शीश झुकाया, हर मुश्क़िल मैं हर विपदा तूने साथ निभाया, शान से रहता हूँ मैं बाबा, देखें आज ज़माना,
मेरी राखी की डोर कभी हो ना कमज़ोर भैया दे दो कलाई, बहन आई है मेरी राखी की डोर कभी हो ना कमज़ोर भैया दे दो कलाई, बहन आई है मेरी राखी की डोर कभी हो ना कमज़ोर भैया दे दो कलाई, बहन आई है भैया दे दो कलाई, बहन आई है कितना रिश्ता है
बोले रे मन हरे कृष्णा हरे राधा रमन हरी गोविन्द जय बोले रे मन हरे कृष्णा हरे हे मेरे गिरिधर हे गोपाला तू ही दुःख दूर करे हरे कृष्णा हरे, हरे कृष्णा हरे हरे राम हरे, हरे कृष्णा हरे अंधेरों में जलते दिए सा साँचा तेरा नाम रे कान्हा चांदी सोने से भी खरा है
श्याम सवेरे देखु तुझको कितना सुंदर रूप है…..(2) तेरा साथ ठंडी छाया बाकी दुनिया धूप है….(2) जब जब भी इसे पुकारू मैं, जब जब भी इसे पुकारू मैं, तस्वीर को इसकी निहारू मैं, तस्वीर को इसकी निहारू मैं, जब जब भी इसे पुकारू मैं, तस्वीर को इसकी निहारू मैं, ओह मेरा श्याम आ जाता मेरे
म्हारी हालो ये रेल भवानी सतगुरु जी के चला देश(2) म्हारी हालो ये… जब हुई टिकट की त्यारी म्हारा सतगुरु खोली बारी, इमे बैठ सभी नर नारी सुमरला देव गणेश। म्हारी हालो ये… इंजन न मारी सिटी म्हारा सतगुरु बंगा टीटी, आ दुनिया रेगी रीति, जाका चड़ ग्या भरम कलेश। म्हारी हालो ये… आ हरियल
साई के चरणों को छूकर, पवन सुहानी आई है, लगता शिरडी से मेरा संदेसा वो लाई है, बुलावा आया है, साईं ने बुलाया है। इस माटी के कण कण में मेरे साईं राम बसे हैं, उस शिरडी के दर्शन को कब से, ये नैना तरसे हैं, साईं नाम की कब से मैंने, मन में जोत
मैं कहाँ बिठाऊ राम कुटिया छोटी छोटी सी, छोटी छोटी सी हाँ छोटी छोटी सी, मैं कहाँ बिठाऊ राम कुटिया छोटी छोटी सी, छोटी सी छोटी सी कुटिया मेरी छोटी सी। गंगा से मैं जल ले आऊ, जल से तुम्हारे चरण धुलाऊ, तुम चरण धुलालो राम कुटिया छोटी सी, मैं कहाँ बिठाऊ राम कुटिया छोटी
अंजनी का लाला बड़ा मतवाला, हवा में उड़ता जाये रे मेरा राम दुलारा॥ एक दिन देखा मैंने अवधपुरी में, अवधपुरी में रामा अवधपुरी में, राम की लगन लगायी रे मेरा राम दुलारा, हवा में उड़ता जाये मेरा राम दुलारा॥ एक दिन देखा मैंने सुमिरो पर्वत पे, सुमिरो पर्वत पे रामा सुमिरो पर्वत पे, संजीवन बूटी
बुलावो जो तुम प्रभु को, प्रेम से बुलाना, प्रेम से बुलाना, प्रेमियों के घर में रहता, इनका आना जाना, बुलावो जो तुम प्रभु को, प्रेम से बुलाना, प्रेम से बुलाना, प्रेमियों के घर में रहता, इनका आना जाना, बुलावो जो तुम प्रभु को… पासे में दुर्योधन, जब पांडव को हराया था, और भरी सभा में