भानु लाल शनिश्चरा करुणा दृष्टि कर, नतमस्तक विनती करें हर एक संकट हर। महा गृह तू महावली शक्ति अपरम्पार, चरण शरण में जो आये उनका कर उद्धार। अपने के प्रभाव को हमसे रखियो दूर, हे रवि नंदन ना करना शांति दर्पण चूर। नटखट क्रोधी देव तुम चंचल तेरा स्वाभाव, चिंतक के घर हर्ष का होना
दोहा – यहाँ जो हर तरफ, उजाला सा दिखाई देता है, श्याम की ज्योति का, जलवा दिखाई देता है। यही इच्छा है मेरी ऐ श्याम, वहां जा के दम निकले, जहाँ से तेरा द्वारा दिखाई देता है॥ मर कर भी है अमर, जो दीवाने है श्याम के, ऐलान अपना कर, ऐलान अपना कर, ऐलान अपना
तू ही ज्वाला सा है तू ही ग्वाला सा है, तेरे देवा है मूषक सवारी तेरी। सारे अँधेरों में तू उझाला सा है, सारी सृष्टि है देवा आभारी तेरी। आयें तेरे शरण देवा छू लें चरण, लालबागाचा राजा गणेशा। आला रे आला रे आला रे आला रे आला रे आला गणेशा (आला रे आला गणेशा)
विघ्न विनाशक गणराय, भय से मुक्त करे, इसकी दया से भक्तों की, भव से नाव तरे, पार्वती लाल का मन से, भजन तू करता जा, करुणा की इस मूर्त से, मन वांछित फल तु पा, जिसके घर में गणराय के, नाम का दीप जले, उस घर के हर जीव की, हर एक बाधा टले, जिनपे
तर्ज – है प्रीत जहाँ की रीत सदा। खाटू में जब जब ग्यारस की, शुभ रात जगाई जाती है। बैठा के सामने बाबा को, हर बात बताई जाती है। खाटू में जब जब ग्यारस की। 1 । दरबार में बैठा हर प्रेमी, भजनो से तुम्हे रिझाता है। तेरी देख रेख में वो अपना, परिवार छोड़
प्रेम की बात निराली है, जिसने प्रेम किया न हरि से, वो नर खाली है, प्रेम की बात…. प्रेम किया मीरा बाई विष पी गई प्याली है, धन्य जाट के होवष में प्रभु बन गया हाली है, प्रेम की बात…. प्रेम किया कर्मा बाई ने लेकर चाली है, खीचड़लो लेकर चाली है अरे श्याम खीचड़ो
तेरी रेहमतो का दरिया सरेआम चल रहा है, मुझे भीख मिल रही है तो काम चल रहा है। मेरे दिल की धड़कनो में, है शरीक नाम तेरा, तेरे नाम के सहारे, मेरा नाम चल रहा है, मुझे भीख मिल रही है, मेरा काम चल रहा है। तेरी आशिकी से पहले मुझे कौन जनता था, तेरे
गुरुदेव मेरे दाता मुझको ऐसा वर दो। सेवा सत्संग सुमिरण से झोली मेरी भर दो। गुरुदेंव मेरे दाता मुझको ऐसा वर दो।। नफरत जो करे मुझसे मैं उनसे प्यार करूँ। कहते है बुरा मुझको उनका सत्कार करूँ। नफरत को मिटा कर मुझमे इक प्यार का रंग भर दो। गुरुदेंव मेरे दाता मुझको ऐसा वर दो।।