थारी माता केवे गोपी चन्दा

Thari Mata Keve Gopi Chanda

॥ दोहा ॥
पाव पलक रो नहीं पतों, तू करे काल की बात।
कुण जाणे क्या होवसि, उगतड़े प्रभात॥

थारी माता केवे गोपी चंदा, तू छोड़ माया रा फंदा।
थारी माता केवे गोपी चंदा, तू तज माया रा फंदा॥

तेरा पिता बंगाल रा राजा, जारे बाजता छत्तीसों बाजा,
राजा वे नर गया रे विलाई, जारी खोज खबर ना पायी।
थारी माता केवे गोपी चंदा, तू छोड़ माया रा फंदा॥

लंका पति रावण होई, जारे संतो मानता सोई,
वाने काल गियो गटकाई, ज्यारे कुल में बचियो ना कोई।
थारी माता केवे गोपी चंदा, तू छोड़ माया रा फंदा॥

मीठे संग माखी ललचाना, मीठे संग प्राण गवाना,
बेटा जैसे किट पतंगा, नर वैसे माया के संगा।
थारी माता केवे गोपी चंदा, तू छोड़ माया रा फंदा॥

राजा हरिचंद तारामति नारी, वे भरयो नीच घर पानी,
रोहितास कंवर बिन रानी, वा स्वर्गा री हेलाणी।
थारी माता केवे गोपी चंदा, तू छोड़ माया रा फंदा॥

गुरु केवे कबीर धिन माता, माने राख्या चौरासी में जाता,
मारे मेर करी गुरु दाता, में फिर जन्म नही पाता।
थारी माता केवे गोपी चंदा, तू छोड़ माया रा फंदा॥

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