होली आई रे कन्हाई, होली आई रे होली आई रे कन्हाई, रंग छलके सुना दे जरा बाँसुरी…..2 बरसे गुलाल रंग मोरे आंगनवा अपने ही रंग में रंग दे मोहे सजनावा हो देखो नाचे मोरा मनवा….2 बरसे गुलाल रंग मोरे आंगनवा, जी मोरे आंगनवा, अपने ही रंग में रंग दे मोहे सजनावा, तोरे कारण घर से
मेरी अरज सुनों मेरे साँवरे, मेरे काटो कारे फंद श्री बांके बिहारी आपको, श्री राधे की सौगंध कन्हैया बस मेरा एक काम हो जाए बांके बस मेरा एक काम हो जाए तेरे दीवानों में तेरे भक्तों में मेरा भी नाम हो जाए कन्हैया बस मेरा एक काम हो जाए बांके बस मेरा एक काम हो
मैय्या यशोदा ये तेरा कन्हैया, पनघट पे मेरी पकड़े है बैंया, तंग मुझे करता है, संग मेरे लड़ता हाय… रामजी के कृपा से मैं बची-२ गोकुल की गलियों में जमुना किनारे, वो मोहे कंकरिया छुप-छुपके मारे, नटखट अदाएं, सूरत है भोली, होली में मेरी भिगोए वो चोली, बैंया ना छोड़े, कलईयां मरोड़े, पइयां पडूँ फिर
बोल कान्हा बोल गलत काम कैसे हो गया, बिना शादी के तू राधे श्याम कैसे हो गया । सत् भांमा रुक्मण के जैसी लूगाई, राधे के साथ कैसे जोड़ी बनाई, बोल कान्हा बोल…. बोल कान्हा बोल तू नादान कैसे हो गया, बिना शादी के तू राधे श्याम कैसे हो गया, ब्याह जिसे लाया वो गूहाई
जबसे तेरी मेरी मुलाकात हो गयी, सारे कहते है की करामात हो गयी। दुनिया दीवानी मेरे साथ हो गयी, सारे कहते है करामात हो गयी॥ ◾️ संवारे सलौने श्याम, झूम झूम गाऊ मैं तूने क्या किया है कैसे तुझको बताऊ मैं। खुशियों की जैसे बरसात हो गयी है, सारे कहते है की करामात हो गयी॥
तुमने बुलाया फिर मुझे लो आ गया प्रभु दर्शन दिए है आपने की है दया प्रभु ◾️ राहे थी बंद आपने रस्ते बना दिए सब इंतज़ाम कर दिए बाबा मेरे लिए करजाई फिर से आपका मैं हो गया प्रभु ◾️ चाहोगे जब भी तुम प्रभू आऊंगा मैं ज़रूर दर्शन को नैन बावरे कैसे रहेंगे दूर
बता मेरे यार सुदामा रे भाई घने दिनों में आया ◾️ बालक था रे जब आया करता रोज़ खेल के जाया करता रे बालक था रे जब आया करता रोज़ खेल के जाया करता हुए के तकरार सुदामा रे भाई घने दिनों में आया बता मेरे यार सुदामा रे भाई घने दिनों में आया ◾️
दिल ले लिया है मेरा वो नंद के दुलारे। पनिया भरन गई मैं जमुना नदी किनारे॥ ◾️ सर पर मुकुट जड़ा था, कानो कुंडल पड़ा था, पनघट निकट खड़ा था, कर प्रेम के इशारे। दिल ले लिया है मेरा वो नंद के दुलारे॥ ◾️ गल विच फूल माला, लोचन परम रसाला, कटी मेखला विशाला, तन
पत्थर की राधा प्यारी, पत्थर के कृष्ण मुरारी पत्थर से पत्थर घिस के पैदा होती चिंगारी पत्थर की नार अहिल्या, पग से श्री राम ने तारी पत्थर के मठ में बैठी, मैया हमारी ◾️ चौदह बरस वनवास में भेजा, राम लखन सीता को, पत्थर रख सीने दशरथ ने पुत्र जुदाई का भी पत्थर सहा देवकी