मन लेके आया माता रानी के भवन में, बड़ा सुख पाया बड़ा सुख पाया, माता रानी के भवन में, जय जय माँ, अम्बे माँ, जय जय माँ, जगदम्बे माँ मैं जानू वैष्णव माता, तेरे ऊँचे भवन की माया। भैरव पर क्रोध में आके माँ तूने त्रिशूल उठाया। वो पर्बत जहां पे तूने शक्ति का रूप
नौ नौ रूप मैया के तो, बड़े प्यारे लागे-२ सबसे प्यारे माँ के, भवनो के नजारे लागे, सबसे प्यारे माँ के, भवनो के नजारे लागे॥ प्रथम पूज्य है शैलपुत्री, दूजी ब्रम्ह्चारणी, भक्त जनो को भव सागर से, पार उतारनी, तीनो लोको में मैया के-२ जय जयकारे लागे, सबसे प्यारे माँ के, भवनो के नजारे लागे॥
सांचा है तेरा दरबार मैया शेरावाली, ऊँचे ऊँचे पर्वत वाली सचिया सचियाँ ज्योता वाली, तू ही दुर्गा तू ही काली, सांचा है तेरा दरबार मैया शेरावाली। चण्ड और मुंड ने स्वर्ग को गेरा और उत्पात मचाया, देवता सारे शरण में आये मईया तुम को मनाया, रोदर रूप माँ तुमने धारा चण्ड और मुंड को तुमने
दोहा – देखो देखो ये भक्ति, ये भक्ति का मार्ग, कहाँ कहाँ से ये पैदल चलके आए है, दुखी है लाचार है दीवाने, तेरे दर्शन की माँ, आस मन में लाए है। जय माँ काली मेरी अम्बे मैया, भक्त तुम्हारे द्वार आ गये है, भटकते भटकते तड़पते तड़पते, चरणों में झोली फैला रहे है, जय
सरस्वती नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणी विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा। माँ शारदे कहाँ तू, वीणा बजा रही है किस मंजु ज्ञान से तू, जग को लुभा रही हैं किस भाव में भवानी, तू मग्न हो रही है विनती नहीं हमारी, क्यों माँ तू सुन रही है हम दीन बाल कब से, विनती सुना रहें हैं चरणों
ओ माँ जागो जागो शेरावाली, जागो मेहरा वाली, सवेरा हो गया है, सवेरा हो गया है। फूट रही सूरज की लाली, जागो ज्योतोवाली, सवेरा हो गया है, सवेरा हो गया है। जागो जागो शेरावाली, जागो मेहरा वाली, सवेरा हो गया है, सवेरा हो गया है। चहचाह रही चिडियो ने, छोड़ा माँ अपना बसेरा है, चहचाह
पवन उड़ा के ले गयी रे मेरी माँ की चुनरिया, उड़के चुनरिया कैलाश पे पहुची, गौराजी के मन को भा गयी रे, मेरी माँ की चुनरिया। पवन उड़ा के ले गयी रे मेरी माँ की चुनरिया उड़के चुनरिया अयोध्या में पहुची माता सीता के मन को भा गयी रे मेरी माँ की चुनरिया। पवन उड़ा
सा-रा-रा होलिका जले, शत्रु राख में मिले हमने जब जब समशिरे, तानी है माय भवानी सन-न-न आंधियां उठे, शत्रु जड़ से मिटे हमने बात यही मन में, ठानी है माय ऐ भवानी हम सब मर्द मेवाड़े, बड़े ख़ुदार हैं अब हर एक दिन स्वराज का, त्योहार है अब ये शीश ना झुके। तेरी लाज हम
शम्भू की पियारी, गिरिराज की दुलारी, गिरिजग गबग गबग गबग गरुड़ गौर वाली, तू घंटा घहराहके घुमाके कूद घंटावाली, करत निहाल खुशहाल फड़ वाली तू, दमक दमक दामिनी सी, चमक चला के चंडी, डपट के दरिद्रमार दौड़-दौड़ आली तू, शान वाली शूल वाली त्रिशूल वाली खड़ग वाली, काली तू मां.. काली तू मां.. काली.. भवानी..दयानी..भवानी..दयानी..