अगर माँ ने ममता लुटाई ना होती, तो ममतामयी माँ कहाई ना होती-२ द्वारे पे आए माँ हमको निहारो, सोई हुई तक़दीर संवारो-२ अगर माँ की ज्योति जलाई ना होती। तो ममतामयी माँ कहाई ना होती-२ अगर मां ने ममता… हमें क्या पड़ी है हम तुम्हे मनाए, हमारा तो हक़ है की हम रूठ जाए-२
एक तमन्ना माँ है मेरी, दिल में बसा लूँ सूरत तेरी, हर पल उसीको निहारा करूँ, मईया मईया मुख से उचारा करूँ। रोज सवेरे उठ कर मैया, तुझको शीश नवाऊँ मैं। प्रेम भाव से भांति-भांति का, नित श्रृंगार सजाऊँ मैं। हाथों से आरती उतारा करूँ, मैया-मैया मुख से उचारा करूँ। इस तन से जो काम
ओ मेरी लक्ष्मी माता जग में माया तेरी अपरम्पार, शाम सवेरे आप की पूजा करता है सारा संसार, ओ मेरी लक्ष्मी माता जग में माया तेरी अपरम्पार… के माँ प्रगत हुई सागर से प्यारी तुम विष्णु भगवान की, इस दुनिया में सब को लालच आप के ही वरदान की, इक इशारा कर दे आप को
यह भजन माता रानी की महिमा और प्रेम का अद्वितीय वर्णन करता है। यह सबल भावनाओं और आराधनाओं के माध्यम से एक भक्त के मन में माँ प्रति भाव जगाता है। शुरुआत में भक्त अपनी इच्छा व्यक्त करता है कि माँ उसे अपने दरबार में बुला लें, और वह माँ के दरशन करें। भक्त द्वारा
तोह क्या जो ये पीड़ा का पर्वत, रस्ता रोक खड़ा है तेरी ममता जिसका बल वो, कब दुनिया से डरा है हिम्मत मैं क्यूँ हारू मैया-२, सर पे हाथ तेरा है। तेरी लगन मैं मगन मैं नाचूँ, गाऊँ तेरा जगराता, मैं बालक तू माता शेरवालिये, है अटूट ये नाता शेरवालिये हो.. मैं बालक तू माता
ऊँचे पर्वत चढ़कर जो, तेरे मंदिर आते हैं, मैया जी तेरी महिमा गाते हैं, (मैया जी तेरी महिमा गाते हैं) महिमा गाते हैं, मैया जी तेरी महिमा गाते हैं, मैया जी तेरे दर्शन पाते हैं। हे जगदम्बा महारानी, तेरा नहीं कोई सानी, तू रण में रणचंडी माँ, तू मन में शीतल है माँ, हो, तेरे
ऊंचा है भवन ऊंचा मंदिर, ऊंची है शान मैया तेरी, चरणों में झुके बादल भी तेरे, पर्वत पे लगे शैया तेरी॥ हे कालरात्रि हे कल्याणी, तेरा जोड़ धरा पर कोई नहीं, मेरी माँ के बराबर कोई नहीं, मेरी माँ के बराबर कोई नहीं। तेरी ममता से जो गहरा हो, ऐसा तो सागर कोई नहीं, मेरी
बही भक्ति की गंगा-यमुना, श्रद्धाओं के दीप जलाये। देखो फिर नवरात्रे आये। कोई माँ का भवन बुहारे, कोई तोरणद्वार सँवारे, यज्ञ-हवन में लगे सभी ही, लगा रहे माँ के जयकारे। भोग लगाता कोई माँ को, कोई चुनरी लाल चढ़ाये, देखो फिर नवरात्रे आये। अम्बर कितना चमक रहा है, मातामय हो दमक रहा है, मेघों का
दिल में अरमान मैया जाने कितना लाया हूँ, तेरे दरबार माँ मैं पहली बार आया हूँ, मन्नत की चुनरी चूड़ी धागा साथ लाया हूँ, करले ना स्वीकार माँ मैं पहली बार आया हूँ। तेरा भुलावा पा के आया तेरे धाम में, गोद में बिठा के देदे अंचल की छाव रे, रहु तेरे चरणों में बस
सारी दुनियां की तूं है सरकार, की आजा मैया शेरावालिए। सच्चा जग में है केवल तेरा द्वार, की आजा मैया शेरावालिए॥ में तोड़ के बंधन सारे, आ बैठा हूं तेरे द्वारे। मेरे सिर पर हाथ फिराकर, मां कर दे वारे न्यारे। तूने तो भरे है सबके भंडार, की आजा मैया शेरावालिए॥ सारी दुनियां की तूं