Category: Chetawani Bhajan

उड़ जायेगा एक दिन पंछी, रहेगा पिंजरा खालीVerified Lyrics 

ये मंजिल आख़िरी है, कब्र ही तेरा ठिकाना है, ये रिश्ते तोड़ने हैं, और ये दुनियाँ छोड़ जाना है, जिंदगी उसकी अमानत है, सभी को एक ना दिन, मौत का कर्जा चुकाना है। तू लाख इफाजत कर ले, तू लाख़ करे रखवाली, उड़ जायेगा एक दिन पंछी, रहेगा पिंजरा खाली। ना कोई अंजुमन होगी, ना

जिन्दगी एक किराये का घर हैVerified Lyrics 

जिन्दगी एक किराये का घर है, एक न एक दिन बदलना पड़ेगा। मौत जब तुझको आवाज देगी, घर से बाहर निकलना पड़ेगा। रूठ जायेंगी जब तुझसे खुशियाँ, गम के साँचे में ढलना पड़ेगा। वक्त ऐसा भी आयेगा नादान, तुझको काँटों पे चलना पड़ेगा। इतना मासूम हो जाएगा तू , इतना मजबूर हो जाएगा तू। ये

भजन बिना तन राख की ढेरी

भजन बिना तन राख की ढेरी, जीवन रैन अँधेरी-२ क्यों मुरख मन भटक रहा है, लोभ मोह में अटक रहा है, भूल रहा भागवत की महिमा, मति मारी है तेरी हाय… जीवन रैन अँधेरी। भजन बिना तन राख… नाम मिलाता हरि से प्यारे, ताम मिटाता सब अंधियारे, मौत को भी हरि भजन मिटाता, है चरनन

हेली म्हारी निर्भय रहीजे रेVerified Lyrics 

हेली म्हारी निर्भय रहीजे रे, दुनियादारी औगणकारी जाने, भेद मत दईजे रे, हेली म्हारी निर्भय रहीजे रे॥ इण काया में अष्ट कमल हैं, इण काया में हो, ओ इण काया में अष्ट कमल, ज्योरी निंगे कराइजे ए, हेली म्हारी निर्भय रहीजे रे॥ सत री संगत में, सत संगत में बैठ सुहागण, साच कमाइजे ए ए

पाप की नगरिया में पुण्य कब कमाओगे

पाप की नगरिया में, पुण्य कब कमाओगे। अरे खाली हाथ आये हो, खाली हाथ जाओगे।। पाप की नगरिया में, पुण्य कब कमाओगे। तेल भी हुआ मंहगा, लकडिया नही मिलती। अबकी बार होली में, किसका घर जलाओगे।। पाप की नगरिया में पुण्य कब कमाओगे। संभलके तुम चलना, हर कदम पे है धोखा। अरे रेत की जमीन

कुछ पल की ज़िन्दगानीVerified Lyrics 

कुछ पल की ज़िन्दगानी, इक रोज़ सबको जाना, बरसों की तु क्यू सोचे, पल का नही ठिकाना॥ कुछ पल की ज़िन्दगानी, इक रोज़ सबको जाना, बरसों की तु क्यू सोचे, पल का नही ठिकाना॥ मल मल के तुने अपने, तन को जो है निखारा, इत्रो की खुशबुओं से, महके शरीर सारा। काया ना साथ होगी,

कलयुग बैठा मार कुंडलीVerified Lyrics 

कलयुग बैठा मार कुंडली, जाऊं तो मैं कहां जाऊं, अब हर घर में रावण बैठा, इतने राम कहां से लाऊं। दशरथ कौशल्या जैसे, मात पिता अब भी मिल जाये, पर राम सा पुत्र मिले ना, जो आज्ञा ले वन जाये, भरत लखन से भाई, ढूंढ कहाँ अब मैं लाऊँ, अब हर घर में रावण बैठा,