भक्तो फूलो की बरसात करो, दर्शन देने माँ झंडे वाली आई है, झंडे वाली का दर्श निराला है, कण-कण में ज्योत समाई है, भक्तो फूलो की बरसात करो। जो भी माँ की महिमा गाते है, वो मन की मुरादे पाते है, जिस मन में माँ बसे माँ की मूरत, उसने ही जन्नत पाई है, भक्तो
तर्ज़:- तुझे सूरज कहूँ या चंदा, तुझे दीप कहूँ या तारा दुनिया के दुख दर्द से जब दिल मेरा घबराया। तब आकर तुमने बाबा, सीने से मुझे लगाया।। जय श्री श्याम, श्री श्याम श्री श्याम…… जय श्री श्याम, श्री श्याम श्री श्याम…… गिरते थे ठोकर खाकर, था कोई नही सहारा, तब साथ दिया मेरा तूने,
सपना दाती मैया का, मुझे दिन रात दिखता है, ममता भरा वो एक चेहरा, सदा मेरी आँखों में बसता है। सपना दाती मैया का… मिल जाएं दर्शन मैया के, हो जाए ख्वाब सब पूरे, एक बस यही तमन्ना है, रह ना जाए अब अधूरे। बरसती जल धार आँखों से, मन कब से तरसता है, ममता
प्रथम निमंत्रण आपको, मां गौरी के लाल श्याम धणी का उत्सव है प्रभु, आ जाओ तत्काल। आपके आने से ही देवा, काम सभी बन जायेंगे, सभी देवता झट से अपने, आसन पर आ जायेंगे, मैं चरण पखारू देवा, तिलक लगाऊ भाल। मूसे की कर असवारी जब रणत भवन से आयेंगे, कंचन थाल में लड्डु भर
बिगड़ी मेरी बनादे ए शेरों वाली मैया, अपना मुझे बनाले ए मेहरों वाली मैया॥ सदा पापी से पापी को भी तुम, मां भव सिंधु तारी हो, फसी मझधार में नैया को भी, पल में उबारी हो, न जाने कोन ऐसी भुल, मुझसे हो गयी मैया, तुम अपने इस बालक को मां, मन से बिसारी हो॥
देता हरदम सांवरे, तू हारे का साथ, मैं भी जग से हार के आया, थाम ले मेरा हाथ, देता हरदम साँवरे, तू हारे का साथ।। रो रही आँखें मेरी, हँसता जमाना है मुश्किलों में घिर गया, तेरा दीवाना है, बिन तेरे अब कौन सुने, मेरे दिल की बात, मैं भी जग से हार के आया,
लिख दो म्हारे रोम रोम में, राम राम हो रमापति, राम राम हो उमापति, लिख दो जय सियाराम जी। शीश पे म्हारे शिवजी लिख दो, कानो पे कन्हैया राम, नैणो में नरसिंह लिख दो, नाक पे नंदलाला राम। लिख दो म्हारे रोम रोम में, राम राम हो रमापति, राम राम हो उमापति, लिख दो जय
तर्ज – कसमें वादे प्यार वफा सब… जपते रहना श्याम नाम तुम, काम तेरे वो आएगा। जहाँ भी तेरे पग बहकेंगे, वहीं वो राह दिखाएगा।। श्याम शरण में आजा तेरी, हर उलझन सुलझाएगा। दु:ख के कांटे दूर हटाकर, सुख के फूल बिछाएगा। जीवन भर फिर ना हो अंधेरा, ऐसा दीप जलाएगा।। जपते रहना.. श्याम सांवरे
माँ ऊँचे पर्वत वाली, करती शेरों की सवारी, अम्बे माँ, घर में पधारो मेरी माँ, अम्बे माँ, घर में पधारो मेरी माँ॥ तेरे नाम की ज्योत जली है, दर्शन को टोली खड़ी है, अम्बे माँ, आरती उतारूं मेरी माँ, अम्बे माँ, आरती उतारूं मेरी माँ॥ आँखे दर्शन की है प्यासी, आजा माता मिटे उदासी, अम्बे
तेरी कट जाये बाधा जीवन की, तू कर परिक्रमा गोवर्धन की, श्री गोवर्धन महाराज, नाथ तुम संतनहितकारी। संतन हितकारी नाथ तुम, भक्तन हितकारी, श्री गोवर्धन महाराज, नाथ तुम संतनहित कारी। श्री गिरिराज की शरण जो आवे, शरण जो आवै, चौरासी के फंद छुडावै, फंद छुडावै, मिट जावे दी तृष्णा भटकन की-२ कर परिकर्मा गोवर्धन की,