मुझे रास आ गया है, तेरे दर पे सर झुकाना, तुझे मिल गया पुजारी, मुझे मिल गया ठिकाना मुझे कौन जानता था, तेरी बंदगी से पहले, तेरी याद ने बनादी, मेरी ज़िन्दगी फ़साना मुझे रास आ गया… मुझे इस का ग़म नहीं है, के बदल गया ज़माना, मेरी ज़िन्दगी के मालिक, कहीं तुम बदल ना
भगता के सागे कीर्तन में, खाटू वालो नाच रहयो-२ ठुमक – ठुमक कर बड़ा चाव से, बाबो घुमर घाल रहयो। भात भात का इतर लगाकर, श्याम धनि इतरावे-२ धीरे धीरे कदम मिलाकर, ताल से ताल मिलावे-२ स्वर्ग से सुन्दर बण्यो नजारो-२ हिवडे श्याम समाए रहयो। मोर छड़ी हाथा में लेकर, श्याम धनि खुद चाले-२ भगता
हाथ जोड़ विनती करू तो सुनियो चित्त लगाये, दास आ गयो शरण में रखियो इसकी लाज । धन्य ढूंढारो देश है खाटू नगर सुजान, अनुपम छवि श्री श्याम की दर्शन से कल्याण ।। श्याम श्याम मैं रटूं श्याम हैं जीवन प्राण, श्याम भक्त जग में बड़े उनको करू प्रणाम । खाटू नगर के बीच में
तेरा किसने किया श्रृंगार सांवरे, लगे दूल्हा सा दिलदार सांवरे,[x2] तेरा किसने किया श्रृंगार सांवरे।। मस्तक पर मलियागिरी चन्दन, केसर तिलक लगाया, मोर मुकुट कानो में कुण्डल, इत्र बहुत बरसाया, महकता रहे ये दरबार सांवरे[x2] तेरा किसने किया… बागो से कलियाँ चुन-चुन कर, सुन्दर हार बनाया, रहे सलामत हाथ सदा वो, जिसने तुम्हे सजाया, सजाता
इतनी किरपा साँवरे बनाए रखना, और मरते दम तक सेवा में लगाये रखना, इतनी किरपा साँवरे बनाए रखना। तूँ मेरा मैं तेरा बाबा तू राजी मैं राज़ी, तेरे नाम पे लिख दी मैंने इस जीवन की बाज़ी, लाज तुम्हारे हाथ है बचाएँ रखना, और मरते दम तक सेवा में लगाये रखना, इतनी किरपा संवारे बनाये
बाबा श्याम के दरबार मची रे होली, बाबा श्याम के, मची रे होली रे खेलांगा होली, बाबा श्याम के, बाबा श्याम के दरबार मची रे होरी, बाबा श्याम के।। केमण लाल गुलाल उड़त है, केमण केसर कस्तूरी, बाबा श्याम के, बाबा श्याम के दरबार मची रे होरी, बाबा श्याम के।। सौमण लाल गुलाल उड़त है,
उस बांसुरी वाले की, लीले घोड़े वाले की..(x2) गोदी में सो जाऊँ, मेरा दिल करता है, श्याम के भजनो में खो जाऊँ।। देखि दुनिया दीवानी, ये मतलब की मस्तानी, बिन मतलब रुख ना जोड़े, यहाँ नित नित नयी कहानी, किस किस को छोड़ू बाबा, किस किस को अपनाऊँ, मेरा दिल करता है, श्याम के भजनो
मेरे बाबा से जिनका सम्बन्ध है उनके घर में आनंद ही आनंद है| डोर जीवन की सौंप बाबा को, बाबा कर देंगे तेरे हर काम को| आ गया जिनको बाबा पसंद है, उनके घर में आनंद ही आनंद है| रिश्ता जिनका बालाजी से हो जायेगा, ज़िंदगी में अभय दान वो पायेगा| जिनकी आँखों में बाबा
रो रो कर श्याम तुम्हे आवाज़ लगाता हूँ, क्यों सुनते नहीं मोहन मैं तुमको बुलाता हूँ। अपने इस सेवक पर इतना ना ज़ुल्म करो, कमज़ोर बड़ा हूँ मैं थोड़ा तो रहम करो। कैसे अब क्या मैं करूँ कुछ समझ ना पाता हूँ, क्यों सुनते नहीं मोहन मैं तुमको बुलाता हूँ। करके कोशिश लाखों आखिर मैं