Tag: Lakhbir Singh Lakha

करुणामयी वरदायनी माँ सरस्वती।

करुणामयी वरदायनी, कर कमल विणा धारणी, माँ सरस्वती, माँ सरस्वती।। ◾️सा सा सात स्वर में निवास है, रे र में धरा आकाश है, गा गा गाए गुण गंधर्व गण, मा माँ है लोभ निवारणी, ओ माँ सरस्वती, माँ सरस्वती, माँ सरस्वती, माँ सरस्वती।। करुणा मयी वर दायनी, कर कमल विणा धारणी, माँ सरस्वती, माँ सरस्वती।।

आया बुलावा भवन से, मैं रह ना पाई।।

आया बुलावा भवन से, मैं रह ना पाई।। श्लोक – तेरे दरश की धुन में माता, हम है हुए मतवाले, रोक सकी ना आंधियां हमको, ना ही बादल काले, चढ़ चढ़ कठिन चढ़ाइया, बेशक पाँव में पड़ गए छाले, फिर भी तेरे दर आ पहुंचे, हम है किस्मत वाले। तेरी जय हो भवानी, जय जय

मन की मुरादे पूरी कर माँ दर्शन करने को मैं तो आउंगी।

मन की मुरादे पूरी कर माँ, दर्शन करने को मैं तो आउंगी, दर्शन करने को मैं तो आउंगी, तेरा दीदार होगा, मेरा उधार होगा, हलवे का भोग मैं लगाउंगी, हलवे का भोग मैं लगाउंगी।। ◾️तू है दाती दान देदे, मुझको अपना जान कर, भर दे मेरी झोली खाली, दाग लगे ना तेरी शान पर, सवा

गौरी के लाड़ले महिमा तेरी महान

गौरी के लाड़ले, महिमा तेरी महान, करता है सबसे पहले, पूजा तेरी जहान, गौरी के लाड़ले, महिमा तेरी महान।। चंदन चौकी पे बिराजे, दाता गजशिश धारी, शीश स्वर्ण मुकुट, गले मोतियन माला प्यारी, रिद्धि सिद्धि अंग संग, छवि सबसे है न्यारी, भोग लड्डुवन का लगे, करे मूसे की सवारी, पुरे हो काम तब ही, पहले

मैया का चोला है रंगला शेरोवाली का चोला है रंगला।

मैया का चोला है रंगला, शेरोवाली का चोला है रंगला।। श्लोक – लाली मेरी मात की, जित देखु तीत लाल, लाली देखन मै गया, मै भी हो गया लाल।। ◾️मैया का चोला है रंगला, शेरोवाली का चोला है रंगला, मेहरोवाली का चोला है रंगला, जोतावाली का चोला है रंगला, अंबे रानी का चोला है रंगला,

चल चला चल ओ भगता चल चला चल।

चल चला चल ओ भगता, चल चला चल।। श्लोक – छू ले जो माँ की, चौखट को तो, जर्रा भी सितारा हो जाए, जहाँ जिक्र हो माँ का मंगल हो, जन्नत का नजारा हो जाए, मैया के दर पे, हर शक्ति, आकर के शीश झुकाती है, सारी दुनिया माँ के दर पे, कष्टों से मुक्ति

जहाँ आसमां झुके जमीं पर सर झुकता संसार का।

जहाँ आसमां झुके जमीं पर, सर झुकता संसार का, वही पे देखा हमने जलवा, माँ तेरे दरबार का।। ◾️इक तिरकुट पर्वत प्यारा, जहाँ पे भवन विशाल, गुफा बनी एक सुन्दर सी, बजे घंटे घड़ियाल, स्वर्ग सा सुख वहां, नहीं कोई दुःख वहां, बराबर मिलता है सबको, भिखारी हो या कोई राजा, जहाँ आसमां झुके जमी

द्वारे चलिए मैया के द्वारे चलिए।

द्वारे चलिए मैया के, द्वारे चलिए, ले आया सावन का महीना, लेने नज़ारे चलिए, द्वारे चलिए मैया के, द्वारे चलिए।। ◾️रिमझिम रिमझिम सावन बरसे, आई रुत मतवाली, जय माँ जय माँ कोयल बोले, बैठ आम की डाली, ऊँचे पर्वत भवन सुनहरा, छाई है हरियाली, पिंडी रूप विराजे मैया, भक्तो की प्रतिपाली, ले आया सावन का

अमृत की बरसे बदरिया अम्बे माँ की दुअरिया।

अमृत की बरसे बदरिया, अम्बे माँ की दुअरिया, अमृत की बरसे बदरिया, ओये मेरी माँ की दुअरिया।। ◾️दादुर मोर पपीहा बोले, पपीहा बोले पपीहा बोले, कूके काली कोयलिया, अम्बे माँ की दुअरिया, अमृत की बरसें बदरिया, ओये मेरी माँ की दुअरिया।। ◾️शीश मुकुट कानों में कुण्डल, सोवे लाल चुनरिया, अम्बे माँ की दुअरिया, अमृत की

गणपति पधारो ताता थैया करते

गणपति पधारो ताता थैया करते, ताता थैया करते, ठुमक ठुमक पग धरते, गणपति पधारो ताता थैया करते, आप के पधारने से बिगड़े काम संवरते, गणपति पधारो ताता थैया करते।। केवड़ा गुलाब जल से, खूब धोया आंगणा, चन्दन की चौकी ऊपर, मखमल का बिछोना, पार्वती लाला आकर, आसन लगाइये, रिद्धि और सिद्धि को भी, संग लेकर