राधे तू बड़ भागिनी, कोन तपसिया किन। तीन लोग तारन तरन, सो तेरे हाथ हीन॥ एक ना त्यागे दुनियादारी वो मीरा कहलाई। दूजी राधा रानी बनके, श्याम सलोना पाई॥ मुझको भी तू अपनाले, मन वृंदावन बन जाए। मुझमे तू ही बस जाए, और मन तुझमे रम जाए॥ (ओ मेरे कान्हा) (जय जय राधा रमन हरी
मेरी चौखट पे चल के, आज चारों धाम आए हैं, बजाओ ढोल स्वागत में, मेरे घर राम आए हैं। कथा सबरी की जैसे जुड़ गई, मेरी कहानी से, ना रोको आज धोने दो चरण, आँखों के पानी से। बोहोत खुश हैं मेरे आंसू के, प्रभु के काम आए हैं बजाओ ढोल स्वागत में, मेरे घर
धुप समय की लाख सताये, मुझमे हिम्मत बाकी है-२ मेरा सर ढकने को माई, तेरी चुनर काफी है, क्या मांगे वो बेटा जिसने, माँ की ममता पाई है, एक तरफ है ये जग सारा, एक तरफ मेरी माई है, क्या मांगे वो बेटा जिसने, माँ की ममता पाई है, एक तरफ है ये जग सारा,
एक, दो, तीन, चार, गणपति तेरी जय जयकार, पाँच, छ, साथ, आठ, गणपति तेरी क्या बात। एक, दो, तीन, चार, गणपति तेरी जय जयकार, पाँच, छ, साथ, आठ, गणपति तेरी क्या बात। विघ्नों का तू ही हरता, दुनिया का है करता धरता, दुःख निवारण तू है बड़ा, भक्तों से प्यार है करता। ओ सुन दुनिया
कोई कहे तू काशी में है, कोई कहे कैलाश। जब जब तुझे पुकारा बाबा, तू था मेरे पास। तेरे बल से मैं बलवान, बाबा तू मेरा भगवान, तेरे चरनो में ही रहना, जब तक मेरे तन में प्राण। मेरे बाबा मेरे बाबा, मेरे बाबा भोले बाबा, मेरे बाबा मेरे बाबा, मेरे बाबा भोले बाबा। मेरी
तोह क्या जो ये पीड़ा का पर्वत, रस्ता रोक खड़ा है तेरी ममता जिसका बल वो, कब दुनिया से डरा है हिम्मत मैं क्यूँ हारू मैया-२, सर पे हाथ तेरा है। तेरी लगन मैं मगन मैं नाचूँ, गाऊँ तेरा जगराता, मैं बालक तू माता शेरवालिये, है अटूट ये नाता शेरवालिये हो.. मैं बालक तू माता
ऊंचा है भवन ऊंचा मंदिर, ऊंची है शान मैया तेरी, चरणों में झुके बादल भी तेरे, पर्वत पे लगे शैया तेरी॥ हे कालरात्रि हे कल्याणी, तेरा जोड़ धरा पर कोई नहीं, मेरी माँ के बराबर कोई नहीं, मेरी माँ के बराबर कोई नहीं। तेरी ममता से जो गहरा हो, ऐसा तो सागर कोई नहीं, मेरी
गुरु गोविन्द दोउ खड़े, काके लागूं पाँय, गुरु गोविन्द दोउ खड़े, काके लागूं पाँय, बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताय, कबीरा, गोविंद दियो बताय… बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर, बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर, पंथी को छाया नहीं फल लागे अति दूर, कबीरा, फल लागे अति दूर… ऐसी बानी