थारा डम डम डमरू बाजे रे, बाजे रे, शिव शंकर कैलाश पति संग गौरां नाचे रे। शंकर नाचे गौरां नाचे नाच रहे गणराई। नंदीगण सुर ताल दे रहे ढोलक झांझ बजाई।।1।। कैलाशी काशी के वासी, अजर अमर अविनाशी। भक्तां का दुख फिरे बांटता, कटे यम की फांसी।।2।। महल अटारी जग ने बांटया, आप बन्या बनवासी।
मेहंदीपुर वाले दरबार तेरा दूर है, मन में विचार लिया आना भी जरूर है। मेरी ये रजा, मेरी ये रजा, आगे तेरी मर्जी। तेरा दरबार मेरे मन लुभाता है। बार बार आना मेरे मन को बड़ा भाता है।।1।। एक बार आने वाला बार बार आता है। बाबा अपने भक्तों से प्यार से बुलाता है।।2।। प्यार
म्हे तो आया हो बजरंगी थारे द्वार चरणा में अर्ज करां। शीश मुकुट कानों में कुंडल गल वैजन्ती माला। लाल सिंदूर रम्या तन ऊपर राम नाम मतवाला।। प्यारो लागे म्हाने थारो दरबार।।1।। भक्तां ने थे दर्शन देवो भीड़ बड़ी है भरी। दूर दूर से सेवक आया आशा लागी थारी।। थारा सेवक करे रे पुकार।।2।। बालाजी
टेर : भरोसे थारे चाले ओ, बजरंग म्हारी नाव। गहरी गहरी नदिया नाव पुरानी, दीखे नहीं किनारों। चारो पासे ढूंढ फिरयो पर मिल्यो ना कोई सहारो। या तो डगमग डगमग हाले ओ बजरंग म्हारी नाव भरोसे थारे चाले… ।।1।। करके दया वेग तुम आवो बल्ली आन लगावो। म्हारी या डूबतडी नैया तुरंत ही पार लगावो।
भक्त खड़े तेरे द्वार दर्शन पाने के लिए। आ जावी एकबार दर्श दिखाने के लिए।। बजरंग बाला दीं दयाला तूँ रखवाला तुन रखवाला। भक्तों की प्रतिपाल करे तूँ ऐसा है मतवाला।। आते हैं हर बार बार प्यार जताने के लिए।।1।। गहरी गहरी नदिया दूर किनारा दे दो सहारा दे दो सहारा। झूठे जग में तेरे
बाला मैं तो दीवाना तेरा। तेरा दरबार है घर मेरा।। साडी दुनिया ये कुछ भी कहे। छोड़ू दर न कभी ये तेरा।। आया मैं दर पे जब पहली बार, देखा जग से नया चमत्कार। जग ने मुझे डराया, मगर खींच लाया तेरा प्यार। संकटो ने मुझे है घेरा।।1।। तेरे दरबार कि क्या कहूं, दिल करता
बजरंगी लाल बेड़ो पर कर दे रे। प्यार वालो हाथ सर पे धर दे रे। बड़े बड़े पापियों की बिगड़ी बनाई। मेरा भी पाप सारा हर ले रे।।1।। रावण जैसे पापी को मारा। मेरा भी पाप क्या जबर है रे।।2।। तेरे दर को छोड़कर और कहाँ जाऊँ। तेरे चरणों में मेरो घर है रे।।3।। दास
बजरंग बली मुझ पर थोड़ी सी दया कर दो। खाली है मेरी झोली इसको भी जरा भर दो।। तेरे द्वार पे आये है बजरंग मेहर करो। दुखों से भरा जीवन सुख के भण्डार भरो।। काँटों से भरा पथ है फूलों की डगर करो।।1।। माँ अंजनी के जाये शंकर के अवतारी। तेरी लीला को जाने कोई
बजरंग बली तेरे भक्तों का, तुझसे ही गुजारा चलता है। जो द्वार तेरे पे आ ना सका, वह रह रह कर मरता है। तेरे द्वार पे हर दम आते हैं, तेरा दर्शन करके जाते हैं। जो सोच सोच कर रह जाते, वो जीवन भर पछताते हैं। भक्तों का दीवानापन क्या कहुँ, मन हरोल रहे मचलाता
जय जय बाला दीनदयाला तेरे बिना कोई और नहीं। तेरे दर पर आने गिरे हैं जग में मुझको छोड़ नहीं। मेरे तन मन बालाजी तेरे चरणों पर बलिहारी हैं। मैंने अर्जी पेश करी अब आकर मर्जी थारी है। दया करो हे बजरंग बाला जग पे मेरा जोर नहीं।।1।। ना जानू मैं सेवा पूजा भक्ति भाव