तेरी हम करते हैं पूजा संकट हर जाओ, भगतो पे माँ लक्ष्मी कृपा कर जाओ, तेरी हम करते हैं पूजा संकट हर जाओ। कष्ट कलेश मिटाओ मैया, सुख समर्धि लाओ मैया, घन की हो जाए वर्षा हाथ माँ धर जाओ, भगतो पे माँ लक्ष्मी कृपा कर जाओ, तेरी हम करते हैं पूजा संकट हर जाओ।
मुझे रास आ गया है, तेरे दर पे सर झुकाना, तुझे मिल गया पुजारी, मुझे मिल गया ठिकाना मुझे कौन जानता था, तेरी बंदगी से पहले, तेरी याद ने बनादी, मेरी ज़िन्दगी फ़साना मुझे रास आ गया… मुझे इस का ग़म नहीं है, के बदल गया ज़माना, मेरी ज़िन्दगी के मालिक, कहीं तुम बदल ना
श्री महावीर् अमर संकीर्तन मंडल शहर के प्राचीनतम भजन मंडलों में से एक है जिसकी प्रथम कार्यकारिणी का गठन वर्ष 1952 में किया गया था। तब से यह मंडल श्री राम नाम के जाप, बालाजी महाराज के प्रचार में लगा हुआ है इसके साथ-साथ धार्मिक अनुष्ठानों और सामाजिक कार्यों में इसका सराहनीय योगदान रहा है।
भगता के सागे कीर्तन में, खाटू वालो नाच रहयो-२ ठुमक – ठुमक कर बड़ा चाव से, बाबो घुमर घाल रहयो। भात भात का इतर लगाकर, श्याम धनि इतरावे-२ धीरे धीरे कदम मिलाकर, ताल से ताल मिलावे-२ स्वर्ग से सुन्दर बण्यो नजारो-२ हिवडे श्याम समाए रहयो। मोर छड़ी हाथा में लेकर, श्याम धनि खुद चाले-२ भगता
हाथ जोड़ विनती करू तो सुनियो चित्त लगाये, दास आ गयो शरण में रखियो इसकी लाज । धन्य ढूंढारो देश है खाटू नगर सुजान, अनुपम छवि श्री श्याम की दर्शन से कल्याण ।। श्याम श्याम मैं रटूं श्याम हैं जीवन प्राण, श्याम भक्त जग में बड़े उनको करू प्रणाम । खाटू नगर के बीच में
अपने दिल का हाल सुनावन आयां हां। म्हें तो म्हारा श्याम ने रिझावन आया हां।। भजन सुणास्यां महिमा गास्यां, श्याम की जय जयकार लगास्यां भूल चूक की माफ़ी माँगा, रुस्योड़ो घनश्याम मनास्यां अपने प्रीतम ने… हो हो हो… अपने प्रीतम ने मनावन आयां हां। म्हे तो म्हारा श्याम ने रिझावन आया हां।। श्याम हमारो दिल
तेरा किसने किया श्रृंगार सांवरे, लगे दूल्हा सा दिलदार सांवरे,[x2] तेरा किसने किया श्रृंगार सांवरे।। मस्तक पर मलियागिरी चन्दन, केसर तिलक लगाया, मोर मुकुट कानो में कुण्डल, इत्र बहुत बरसाया, महकता रहे ये दरबार सांवरे[x2] तेरा किसने किया… बागो से कलियाँ चुन-चुन कर, सुन्दर हार बनाया, रहे सलामत हाथ सदा वो, जिसने तुम्हे सजाया, सजाता
मुकुट सिर मोर का, मेरे चित चोर का, दो नैना नैना नैना, दो नैना नैना नैना। दो नैना सरकार के, कटीले हैं कटार से, कमल लजाएं तेरी, अँखियों को देख के। भूली घटाएं तेरी, कजरे की रेख पे, मुखड़ा निहार के, सो चाँद गये हार के, दो नैना नैना नैना, दो नैना नैना नैना। दो