भानु लाल शनिश्चरा करुणा दृष्टि कर, नतमस्तक विनती करें हर एक संकट हर। महा गृह तू महावली शक्ति अपरम्पार, चरण शरण में जो आये उनका कर उद्धार। अपने के प्रभाव को हमसे रखियो दूर, हे रवि नंदन ना करना शांति दर्पण चूर। नटखट क्रोधी देव तुम चंचल तेरा स्वाभाव, चिंतक के घर हर्ष का होना
सुख भी मुझे प्यारे हैं, दुःख भी मुझे प्यारे हैं, छोडूं मैं किसे भगवान् दोनों ही तुम्हारे हैं। सुख दुख ही तो दुनियाँ की गाड़ी को चलाते हैं, सुख दुख ही तो हमको इन्सान बनाते हैं। संसार की नदियों के दोनों ही किनारे हैं। सुख भी मुझे प्यारे हैं, दुःख भी मुझे प्यारे हैं॥ दुख
जय शनि देव महाराज, दया हम पर रखिये। दया रखिये प्रभु दया रखिये, जय जय शनि महाराज, दया हम पर रखिये। सूर्य पुत्र तुम हुए शनि जी, छाया तुम्हरी मात-शनि, दया हम पर रखिये। कौवे पर तुम रहे विराजे, पहन श्याम पोशाक-शनि, दया हम पर रखिये। एक हाथ धनु बाण विराजे, दूजे हाथ त्रिशूल-शनि, दया
ये है शनि कथा मेरे भाई मेरे बन्धु हो सुनो राजा, करो शनि देव की घर में पूजा, जय जय शनि राज, बोलो जय जय शनि राज। तेज परतापी सूर्य पिता और सोमैया जैसी माता, छः बहनो का शनि लाडला, यम जैसा था भ्राता, ये है शनि कथा मेरे भाई… सूर्य तेज से शनि देव
कलयुग में शनिदेव की, महिमा महान है, बदले समय की चाल जो-२ ऐसा तूफान है, कलियुग में शनिदेव की, महिमा महान है। दृष्टि दया की हो अगर, उसको बना दिया, दुनिया में उसके नाम का, सिक्का चला दिया, ये न्याय के है देवता, किरपा निधान है, कलियुग में शनिदेव की, महिमा महान है। घनघोर आँधियों
शनि मंदिर चलो रे आज शनिवार है (शनि मंदिर चलो रे आज शनिवार है) शनि मंदिर चलो रे आज शनिवार है (शनि मंदिर चलो रे आज शनिवार है) शनि मंदिर चलो रे आज शनिवार है (शनि मंदिर चलो रे आज शनिवार है) शनि मंदिर चलो, शनि मंदिर चलो। शाम वर्ण शनि चक्र भुजी है अस्त्र-शस्त्र
जाग रे नर जाग दीवाना, अब तो मूरख जाग रे । काँहि सूतो घन घोर नींद में, उठ भजन में लाग रे । ध्रुव जी जाग प्रहलाद जी जागा, जैसे बन्दा जाग रे । ध्रुव जी ने मिलगी असल फकीरी, प्रहलादे ने राज रे । जाग रे नर। गोरख जाग मच्छेन्दर जागा, जैसे मूरख जाग
टेर : माया कोणी चले सागे रे, दया धर्म पुण्यदान भजन कर मिलसी आगे रे। पिछले जन्म में करी कमाई लगा रहा घर में ठाट, बिना भजन जो आये जगत में रहे है विपदा काट। माया कोणी….. मात पिता की सेवा कर ले, नित उठ ले आशीष, घर आँगन में मौज मनाओ सत्य है बिसवा
दोहा : कबीरा सुता क्या करें जागन जपे मुरार। एक दिन तो है सोवना लम्बे पाँव पसार।। टेर : घणा दिन सो लियो रे अब तो जाग मुसाफिर जाग। पहले सोयो माता के गर्भ में उल्टा पांव पसार। भीतर से जब बाहर आया भूल्या कोल करार।। जन्म तेरी हो लियो रे दूजा सोया गोद माता