मुझे श्याम तेरा सहारा न होता तो दुनिया में मेरा गुज़ारा न होता …2 ◾️ जीने को जीते थे मगर मर मर कर जीते थे मज़बूरी में दिन रात मेरे रो रो कर बीते थे रो रो कर तुझको पुकारा न होता …2 तो दुनिया में मेरा गुज़ारा न होता …2 मुझे श्याम तेरा सहारा
लो आ गया, अब तोह श्याम, मैं शरण तेरी लो आ गया, अब तोह श्याम, मैं शरण तेरी ◾️ जाने कहा कहा पर, भटका तेरा ये दीवाना दर ये तुम्हारा बाबा, मेरा आखिरी ठिकाना जाने कहा कहा पर, भटका तेरा ये दीवाना दर ये तुम्हारा बाबा, मेरा आखिरी ठिकाना जिसपे किया भरोसा, उसने ही आँख
तेरे ही भरोसे बाबा, मेरा परिवार है, मेरा परिवार है, आज भी है और, कल भी रहेगा, तेरा ही सहारा मुझको, तेरा ही आधार है, आज भी है और, कल भी रहेगा।। ◾️ तेरी किरपा से श्याम, सुखी परिवार है मेरा, मेरा जीवन है खुशहाल, बड़ा उपकार है तेरा, मेरा तो पालनहारा, तू ही दातार
दर्शन को तरसते है, दो नैना ये बावरे, मेरे श्याम चले आओ, मेरे श्याम चले आओ, कहीं चैन नहीं तुम बिन, मुझको मेरे सांवरे, मेरी प्यास बुझा जाओ, मेरे श्याम चले आओ।। ◾️ क्यूँ भूल गए हो तुम मुझे, चरणों से लगा के, क्यों छूप गए हो तुम मुझे, दिवाना बना के, निष्ठुर ना बनो
हारे का तू है, सहारा सावरे, हमने, भी तुमको, पुकारा सावरे, हारे का तू है, सहारा सावरे, हमने, भी तुमको, पुकारा सावरे, नहीं और सहा जाये, हम बोल कहा जाये हारे का तू है, सहारा सावरे, हमने, भी तुमको, पुकारा सीवर हारे का तू है, सहारा सावरे, हमने, भी तुमको, पुकारा सावरे, नहीं और सहा
बांके बिहारी की बांसुरी बाँकी, पेसुदो करेजा में घाउ करेरी मोहन तान ते होए लगाओ तो औरन ते अलगाउ करेरी गैर गली घर घाट पे घेरे कहा लगी कोउ बचाउ करेरी जादू पड़ी रस भीनी छड़ी मन बेतत् काल प्रभाउ करेरी जादू पड़ी रस भीनी छड़ी, मन बेतत् काल प्रभाउ करेरी मोहन नाम सो मोहन
है आँख वो जो श्याम का दर्शन किया करे है शीश जो प्रभु चरण में वंदना किया करे बेकार वो मच है जो रहे गर्द बातों में मच वो है जो हरी नाम का सुमिरन किया करे हीरे मोती से नहीं शोभा है हाथ की हाथ जो भगवान् का पूजन किया करे मर भी अमर
बांके बिहारी की बांसुरी बाँकी, पेसुदो करेजा में घाउ करेरी मोहन तान ते होए लगाओ तो औरन ते अलगाउ करेरी गैर गली घर घाट पे घेरे कहा लगी कोउ बचाउ करेरी जादू पड़ी रस भीनी छड़ी मन बेतत् काल प्रभाउ करेरी जादू पड़ी रस भीनी छड़ी, मन बेतत् काल प्रभाउ करेरी मोहन नाम सो मोहन
मुरली वाले ने घेर लयी, अकेली बनिया गयी। मै तो गयी थी यमुना तट पे, कहना खड़ा था री पनघट पे। बड़ी मुझ को रे देर भई, अकेली बनिया गयी॥ ◾️ श्याम ने मेरी चुनरी झटकी, सर से मेरे घिर गयी मटकी। बईया मेरी मरोड़ गयी, अकेली बनिया गयी॥ ◾️ बड़ा नटखट है श्याम सवारिया,