सांवरे तेरे दर देखा तेरा हुनर मिली तुमसे नज़र तो मज़ा आगया जादूगर बाजीगर अजब तेरा असर झुक गया मेरा सर तो मजा आ गया था अकेला यहाँ ज़िन्दगी में तनहा तू बना हमसफ़र तो मजा आगया लैब पे आयी हंसी खिल उठी ज़िन्दगी तुम सा पाया दिलबर तो मज़ा आगया झुक गया मेरा सर
॥ दोहा ॥ पाव पलक रो नहीं पतों, तू करे काल की बात। कुण जाणे क्या होवसि, उगतड़े प्रभात॥ थारी माता केवे गोपी चंदा, तू छोड़ माया रा फंदा। थारी माता केवे गोपी चंदा, तू तज माया रा फंदा॥ तेरा पिता बंगाल रा राजा, जारे बाजता छत्तीसों बाजा, राजा वे नर गया रे विलाई, जारी
मन तड़पत हरि दर्श को आज मोरे तुम बिन बिगड़े सकल काज आ, विनती करत, हूँ, रखियो लाज, मन तड़पत… तुम्हरे द्वार का मैं हूँ जोगी हमरी ओर नज़र कब होगी सुन मोरे व्याकुल मन की बात, तड़पत हरि दर्शन… बिन गुरू ज्ञान कहाँ से पाऊँ दीजो दान हरि गुन गाऊँ सब गुनी जन पे
मेरे सर पर रख बाबा, अपने ये दोनों हाथ, देना हो तो दीजिए, जनम जनम का साथ। देने वाले श्याम प्रभु तो, धन और दौलत क्या मांगे, श्याम प्रभु से मांगे तो फिर, नाम और इज्जत क्या मांगे, मेरे जीवन में तू कर दे, बाबा कृपा की बरसात, देना हो तो दीजिए, जनम जनम का
जब जब प्रेमी कही पे कोई रोता है, आँख के आँसू से चरण को धोता है अक्सर तन्हाई मे तुमको पुकारे ना ज़ोर दिल पे चले हारे हारे हारे तुम हारे के सहारे हम हारे हारे हारे तुम हारे के सहारे तू है मेरा इक सावरा, तू है मेरा इक सावरा मई हू तेरा इक
अरज सुण ले रे रामा-२ म्हारो राम रुणीजा वालो, अरज सुण ले रे रामा। हां जामो बिराजे हरी ने केसरियो रे रामा, तो सिर पर पचरंगी पाग, अरज सुण ले रे रामा। हां धोलो घोड़ीलो मुख हांसलो रे रामा, तो मोत्या से जड़ी है लगाम, अरज सुण ले रे रामा। हां कमर कटारो सोवे बांकड़ों
विनती सुनो गणराजा आज, मेरी महफिल में आ जाना, आज मेरी महफिल में आ जाना ना, (आज मेरी महफिल में आ जाना ना) विनती सुनो गणराजा आज, मेरी महफिल में आ जाना।। रिद्धि सिद्धि के तुम हो दाता, भक्तजनों के भाग्य विधाता, शंकर के लाल गणराजा, आज मेरी महफिल में आ जाना, विनती सुनो गणराजा
दोहा – देखो देखो ये भक्ति, ये भक्ति का मार्ग, कहाँ कहाँ से ये पैदल चलके आए है, दुखी है लाचार है दीवाने, तेरे दर्शन की माँ, आस मन में लाए है। जय माँ काली मेरी अम्बे मैया, भक्त तुम्हारे द्वार आ गये है, भटकते भटकते तड़पते तड़पते, चरणों में झोली फैला रहे है, जय
पुत नन्द ते यशोदा देया जाया, तेरी कमली ने कमला बनाया। मैं सुणया कुब्जा ते डुल्या, मथुरा जाके गोकुल भुल्या, जैसे उसने की जादू पाया, तेरी कमली ने कमला बनाया। तेरे सिवा मेरा होर ना दर्दी, इक वारि कर श्यामा नज़र मेहर दी, छड दुनिया नु तेरे दर आया, तेरी कमली ने कमला बनाया। आ
पाई न केहिं गति पतित पावन राम भजि सुनु सठ मना। गनिका अजामिल ब्याध गीध गजादि खल तारे घना॥ आभीर जमन किरात खस स्वपचादि अति अघरूप जे। कहि नाम बारक तेपि पावन होहिं राम नमामि ते॥ रघुबंस भूषन चरित यह नर कहहिं सुनहिं जे गावहीं। कलि मल मनोमल धोइ बिनु श्रम राम धाम सिधावहीं॥ सत