नंदलाल तेरी मेरी बाते, एक तू जाने या मैं जानू… आएँगी मिलन की वो राते, एक तू जाने या मैं जानू। तेरे प्रेम की अश्को की बरसाते… एक तू जाने या मैं जानू वो रूप के रंग के नजतो पे एक तू जाने या मैं जानू… जहा तूम हो वहा चांदनी कौन पूछेगा, तेरा दर
॥दोहा॥ आठ पहर यू ही गया, माया मोह जंजाल। राम नाम हृदय नहीं, जीत लिया जम काल॥ कलजुग झाला देतो आवे रे, चौडे धाडे। चौडे धाडे ओ, कलजुग हेला मारे। कलयुग झाला देतो आवे रे, चौडे धाडे॥ ॥टेर॥ सतयुग त्रेतायुग द्वापर कि, उठ रित पुराई। कान खोल सुनले भाया, कलजुग री चतुराई। के सारा एकन
अमृत है हरि नाम जगत में, इसे छोड़ विषय विष पीना क्या, हरि नाम नही तो जीना क्या। काल सदा अपने रस डोले, ना जाने कब सिर चढ़ बोले, हरि का नाम जपो निसवासर, इसमें अब बरस महिना क्या। हरि नाम नही तो जीना क्या। तीर्थ है हरि नाम तुम्हारा, फिर क्यों फिरता मारा-मारा, अंत
राधे राधे राधे बोल मना, तन का क्या पता, राधे राधे राधे बोल मना, तन का क्या पता। मन तो है चंचल, तन तो है पिंजरा, पिंजरे में है तेरा वास, मन तो है चंचल, तन तो है पिंजरा, पिंजरे में है तेरा वास, राधे राधे राधे बोल मना, तन का क्या पता। राधा है
ना मैं मांगू खेल खिलौना, ना मैं लाल फरारी, एक बार करवादे बाबा, लीले की सवारी, तेरे संग झूम लू मैं, ये दुनिया घूम लू मैं-२ मैं भी देखूं लीला घोडा, कैसी दौड़ लगाता, जब कोई प्रेमी याद है करता, झटपट दौड़ के आता, रोते हुए चेहरो पे लाता, ये मुस्कान है प्यारी, एक बार
खोलो ह्रदय के ताले मैया जी मेरा भाग लिख दो। मईया जी मेरा भाग लिख दो-२ खोलो ह्रदय के ताले मैया जी मेरा भाग लिख दो। पहला भाग मेरे माथे पे लिख दो, माथे पे लिख दो माँ माथे पे लिख दो, शीश झुकाऊ मैं बारम्बार, मैया जी मेरा भाग लिख दो, खोलो ह्रदय के
जब रावण पापी न माना, प्यार से बात तुम्हारी, जय सिया राम की बोल के तुमने, फूंक दी लंका सारी, सीता बोली बजरंग बाला मैं जाऊ बलहारी, जय सिया राम की बोल के तुमने, फूंक दी लंका सारी। अज्ञानी पापी ने तुम्हरी, पूंछ में आग लगा दी, मन में दबी थी क्रोध की ज्वाला, जुल्मी
हर जन्म में भैरव तेरा साथ चाहिए, सर पे मेरे दादा तेरा हाथ चाहिए। सिलसिला ये टूटना नहीं चाहिए, मुझको तो बस इतनी सी सौगात चाहिए॥ हर जन्म में भैरव तेरा साथ चाहिए, सर पे मेरे दादा तेरा हाथ चाहिए। मेरी आंखों के तुम तो तारे हो, जान से ज्यादा मुझे प्यारे हो। रूठे सारी
मीठी बाँसुरी बजा नंदलाल गोकुल का काकड में, (मीठी बाँसुरी बजा नंदलाल गोकुल का काकड में) काकड में रे कान्हा रे काकड में॥ आपा गाया चरासा दिनभर साथ गोकुल का काकड में, (आपा गाया चरासा दिनभर साथ गोकुल का काकड में) काकड में रे कान्हा रे काकड में कान्हा रे काकड, मीठी बाँसुरी बजा नंदलाल