जय हनुमान ज्ञान गुण सागर, जय कपीस तिहु लोक उजागर, रामदूत अतुलित बल धामा, अंजनी पुत्र पवन सुत नामा। दाता शक्ति दे, दाता भक्ति दे, सच के पथ पे चलते – चलते, जीवन को रंग दे। अव गुण को गुण दे, निर्मल मन कर दे, काँटों से भरे जीवन को, फूलों से भर दे। बीच
पग बाँध के घुँघरू नाचे रे, भैरव मार मार किलकारी, भैरव मार रहे किलकारी… पग बाँध के घुँघरू नाचे रे, भैरव मार रहे किलकारी… शिव शंकर के अवतारी, बटुक नाथ की शान सवारी, कर में त्रिशूल विराजे रे, भैरव मार रहे किलकारी… पग बाँध के घुँघरू नाचे रे, भैरव मार रहे किलकारी… नेत्र लाल विकराल
दाती तेरा नाम, दान देना तेरा काम, तू बड़ी ही दिलवाली, हाँ दाती तेरा नाम… तेरे दरबार झुके सारा संसार, की सबकी रखवाली, सवाली ना दर से गया खाली-२ बड़ी दयावान, तू है करुणानिधान, तूने गम की घटा टाली-२ भक्तो के घर पर, दया की नज़र ला देती हो खुशहाली। सवाली ना दर से गया
मेरा बाबा कितना प्यारा है, ये प्यार तो हमसे करता है, झोली खुशियों से हम सबकी-२ मेरा श्याम दयालु भरता है, ओ मेरे बाबा, ओ श्याम बाबा-२ तेरी ग्यारस जब जब आती है, मुझे तेरी याद सताती है-२ तेरे दर्शन करने को बाबा, खाटू नगरी बुलाती है, ओ मेरे बाबा, ओ श्याम बाबा-२ जब भी
ओ खाटू के बाबा श्याम तू लीले चढ़ कर आजा। (तू लीले चढ़ कर आजा) भक्तां रा कष्ट मिटा जा, हो जा मन का पूर्ण काम, तू लीले चढ़ कर आजा॥ नैया है बीच भंवर में भारी उठाव है जल में, नैया हो रही डावा डोल केवट बन पार लगा जा, खाटु के बाबा श्याम…
।। श्लोक ।। श्याम नाम की चाकरी,करिये आठों याम, मन इच्छा पूरी करे, म्हारा खाटु वाला श्याम। नौकर रख ले सांवरे, हमको भी इक बार, बस इतनी तनख्वाह देना, मेरा सुखी रहे परिवार। नौकर रखले सांवरे, हमको भी इक बार।। तेरे काबिल नहीं हूँ बाबा, फिर भी काम चला लेना। जैसा भी हूँ तेरा ही
नवरात्रे है जब आते, सब मैया के गुण गाते। हँसते गाते ढोल बजाते, सब है ये ही कहते॥ माँ के दर जाना है, जी माँ के दर जाना है। नवरात्रे है जब आते, पर्वत पर मेले लगते। (नवरात्रे है जब आते, पर्वत पर मेले लगते॥) माँ के जयकारे बोल के प्यारे, सब है ये ही
तेरी रेहमतो का दरिया सरेआम चल रहा है। मुझे भीख मिल रही है मेरा काम चल रहा है। जब तक थी तुम से दुरी, कीमत न कुछ मेरी थी। हुई तुमसे जो मोहब्बत, मेरा नाम बन रहा है। तेरी रेहमतो का दरिया, सरेआम चल रहा है। मुझे भीख मिल रही है, मेरा काम चल रहा
तू किरपा कर बाबा, कीर्तन करवाऊंगा, कीर्तन कराऊँ ऐसा, इतिहास बना दूँँगा। तू किरपा कर बाबा जय हो जय हो… मैं भाई भतीजो के, कुरते सिलवाऊंगा, और बहन बेटियों के, गहने बनवाऊंगा। इत्र की खुशबु से, ये घर महकाऊँगा। कीर्तन कराऊँ ऐसा… मैं फूलों से बाबा, श्रृंगार कराऊंगा, तेरे खातिर सांवरिया, छप्पन भोग बनाऊंगा। मैं