Author: Karan Singh

श्री परशुराम चालीसा – श्री गुरु चरण सरोज छवि,

॥दोहा॥ श्री गुरु चरण सरोज छवि, निज मन मन्दिर धारि। सुमरि गजानन शारदा, गहि आशिष त्रिपुरारि॥ बुद्धिहीन जन जानिये, अवगुणों का भण्डार। बरणौं परशुराम सुयश, निज मति के अनुसार॥ ॥चौपाई॥ जय प्रभु परशुराम सुख सागर, जय मुनीश गुण ज्ञान दिवाकर। भृगुकुल मुकुट बिकट रणधीरा, क्षत्रिय तेज मुख संत शरीरा॥ जमदग्नी सुत रेणुका जाया, तेज प्रताप

श्री नवग्रह चालीसा – श्री गणपति गुरुपद कमल, प्रेम सहित सिरनाय।

‘श्री गणपति गुरुपद कमल, प्रेम सहित सिरनाय। नवग्रह चालीसा कहत, शारद होत सहाय॥ जय जय रवि शशि सोम बुध जय गुरु भृगु शनि राज। जयति राहु अरु केतु ग्रह करहुं अनुग्रह आज॥ ॥चौपाई॥ ॥श्री सूर्य स्तुति॥ प्रथमहि रवि कहं नावौं माथा, करहुं कृपा जनि जानि अनाथा। हे आदित्य दिवाकर भानू, मैं मति मन्द महा अज्ञानू।

श्री रविदास चालीसा – बन्दौ वीणा पाणि को,

॥दोहा॥ बन्दौ वीणा पाणि को, देहु आय मोहिं ज्ञान। पाय बुद्धि रविदास को, करौं चरित्र बखान॥ मातु की महिमा अमित है, लिखि न सकत है दास। ताते आयों शरण में, पुरवहुं जन की आस॥ ॥चौपाई॥ जै होवै रविदास तुम्हारी, कृपा करहु हरिजन हितकारी। राहू भक्त तुम्हारे ताता, कर्मा नाम तुम्हारी माता॥ काशी ढिंग माडुर स्थाना,

श्री पितर चालीसा – हे पितरेश्वर आपको दे दियो आशीर्वाद,

॥दोहा॥ हे पितरेश्वर आपको दे दियो आशीर्वाद, चरणाशीश नवा दियो रखदो सिर पर हाथ॥ सबसे पहले गणपत पाछे घर का देव मनावा जी। हे पितरेश्वर दया राखियो, करियो मन की चाया जी॥ ॥चौपाई॥ पितरेश्वर करो मार्ग उजागर, चरण रज की मुक्ति सागर। परम उपकार पित्तरेश्वर कीन्हा, मनुष्य योणि में जन्म दीन्हा॥ मातृ-पितृ देव मन जो

श्री खाटू श्याम चालीसा – श्री गुरु चरण ध्यान धर,

॥दोहा॥ श्री गुरु चरण ध्यान धर, सुमिरि सच्चिदानन्द। श्याम चालीसा भजत हूँ, रच चैपाई छन्द॥ ॥चौपाई॥ श्याम श्याम भजि बारम्बारा, सहज ही हो भवसागर पारा। इन सम देव न दूजा कोई, दीन दयालु न दाता होई। भीमसुपुत्र अहिलवती जाया, कहीं भीम का पौत्र कहाया। यह सब कथा सही कल्पान्तर, तनिक न मानों इनमें अन्तर। बर्बरीक

श्री रामदेव चालीसा – श्री गुरु पद नमन करि,

॥दोहा॥ श्री गुरु पद नमन करि, गिरा गनेश मनाय। कथूं रामदेव विमल यश, सुने पाप विनशाय॥ द्वार केश से आय कर, लिया मनुज अवतार। अजमल गेह बधावणा, जग में जय जयकार॥ ॥चौपाई॥ जय जय रामदेव सुर राया, अजमल पुत्र अनोखी माया। विष्णु रूप सुर नर के स्वामी, परम प्रतापी अन्तर्यामी। ले अवतार अवनि पर आये,

जब से तेरी मेरी मुलाकात हो गयी

जबसे तेरी मेरी मुलाकात हो गयी, सारे कहते है की करामात हो गयी। दुनिया दीवानी मेरे साथ हो गयी, सारे कहते है करामात हो गयी॥ ◾️ संवारे सलौने श्याम, झूम झूम गाऊ मैं तूने क्या किया है कैसे तुझको बताऊ मैं। खुशियों की जैसे बरसात हो गयी है, सारे कहते है की करामात हो गयी॥

तुमने बुलाया फिर मुझे लो आ गया प्रभु

तुमने बुलाया फिर मुझे लो आ गया प्रभु दर्शन दिए है आपने की है दया प्रभु ◾️ राहे थी बंद आपने रस्ते बना दिए सब इंतज़ाम कर दिए बाबा मेरे लिए करजाई फिर से आपका मैं हो गया प्रभु ◾️ चाहोगे जब भी तुम प्रभू आऊंगा मैं ज़रूर दर्शन को नैन बावरे कैसे रहेंगे दूर

ज़री की पगड़ी बाँधे सुंदर आँखो वाला

ज़री की पगड़ी बाँधे सुंदर आँखो वाला, ज़री की पगड़ी बाँधे सुंदर आँखो वाला, ◾️ कितना सुंदर लागे बिहारी कितना लागे प्यारा, ज़ारी की पगड़ी बाँधे सुंदर आँखो वाला, ज़ारी की पगड़ी बाँधे सुंदर आँखो वाला, ◾️ कितना सुंदर लागे बिहारी कितना लागे प्यारा, कानो मेी कुंडल साजे सिर मोर मुकुट बिराजे, कानो मेी कुंडल

बता मेरे यार सुदामा रे, भाई घने दिनों में आया

बता मेरे यार सुदामा रे भाई घने दिनों में आया ◾️ बालक था रे जब आया करता रोज़ खेल के जाया करता रे बालक था रे जब आया करता रोज़ खेल के जाया करता हुए के तकरार सुदामा रे भाई घने दिनों में आया बता मेरे यार सुदामा रे भाई घने दिनों में आया ◾️