November 23, 2020
सरस्वती नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणीVerified Lyrics
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सरस्वती नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणी विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा। माँ शारदे कहाँ तू, वीणा बजा रही है किस मंजु ज्ञान से तू, जग को लुभा रही हैं किस भाव में भवानी, तू मग्न हो रही है विनती नहीं हमारी, क्यों माँ तू सुन रही है हम दीन बाल कब से, विनती सुना रहें हैं चरणों