जब रावण पापी न माना, प्यार से बात तुम्हारी, जय सिया राम की बोल के तुमने, फूंक दी लंका सारी, सीता बोली बजरंग बाला मैं जाऊ बलहारी, जय सिया राम की बोल के तुमने, फूंक दी लंका सारी। अज्ञानी पापी ने तुम्हरी, पूंछ में आग लगा दी, मन में दबी थी क्रोध की ज्वाला, जुल्मी