शब्द की चोट लगी मेरे मन को, भेद गया ये तन सारा, हो मोपे साईं रंग डारा। सतगुरु हो महाराज, हो मोपे साईं रंग डारा। कण कण में जड़ चेतन में, मोहे रूप दिखे इक सुंदर, जिस के बिन मैं जी नहीं पाऊँ, साईं बसे मेरे अंदर, पूजा अर्चन सुमिरन कीर्तन, निस दिन करता रहता,
Singer Name : singer : L.Nitesh Kumarगुरु शरण आज मन सुमिरे, आओ साँई नाथ कृपालू…. करुणा वत्सल हे सच्चिदानंद, अब कृपा करो हे दयालू….. ओ रे फकीरा मेरे साईं…… ओ रे फकीरा…… ओ रे फकीरा मेरी सांई, संकट की घड़ी आई …२ भक्तों के सांई…. कष्ट मिटाओ…….२ आज बनाओ सबकी बिगड़ी…….२ मेरे सांई… मेरे सांई
तेरी रेहमतो का दरिया सरेआम चल रहा है, मुझे भीख मिल रही है तो काम चल रहा है। मेरे दिल की धड़कनो में, है शरीक नाम तेरा, तेरे नाम के सहारे, मेरा नाम चल रहा है, मुझे भीख मिल रही है, मेरा काम चल रहा है। तेरी आशिकी से पहले मुझे कौन जनता था, तेरे
साई के चरणों को छूकर, पवन सुहानी आई है, लगता शिरडी से मेरा संदेसा वो लाई है, बुलावा आया है, साईं ने बुलाया है। इस माटी के कण कण में मेरे साईं राम बसे हैं, उस शिरडी के दर्शन को कब से, ये नैना तरसे हैं, साईं नाम की कब से मैंने, मन में जोत
।दोहा। है अजब तरह का सामान तेरी शिरडी में, आता हिन्दू है मुस्लमान तेरी शिरडी में। आए जितने भी परेशान तेरी शिरडी में, काम सबके हुए आसान तेरी शिरडी में।। दीवाना तेरा आया, बाबा तेरी शिरडी में। नज़राना दिल का लाया, बाबा तेरी शिरडी में। मिल मुझको मेरे बाबा, भरनी तुम्हे पड़ेगी। झोली मैं खाली