नीलांजन समाभासं रवि पुत्रां यमाग्रजं, छाया मार्तण्डसंभूतं तं नामामि शनैश्चरम्, जय जय शनिदेव, शनि देवा पधारो, मेरे घर आना, शनि देवा, करूँ सेवा, शनि देवा जी, भक्तों की लाज रखना। सूरज पिता है, माँ तेरी छाया, सब से निराले स्वामी, श्याम वर्ण पाया, माया न्यारी तेरी, छवि प्यारी तेरी, न्याय करता, सुनों इक विनती मेरी,