दिल में अरमान मैया जाने कितना लाया हूँ, तेरे दरबार माँ मैं पहली बार आया हूँ, मन्नत की चुनरी चूड़ी धागा साथ लाया हूँ, करले ना स्वीकार माँ मैं पहली बार आया हूँ। तेरा भुलावा पा के आया तेरे धाम में, गोद में बिठा के देदे अंचल की छाव रे, रहु तेरे चरणों में बस