मानव तू है मुसाफिर, दुनिया है धर्मशाला, संसार क्या है सपना, वो भी अजब निराला॥ ये रेन है बसेरा, है किराये का ये डेरा, उसमें फसा है ये फेरा, ये तेरा है ये मेरा॥ शीशे को मान बैठा, तू मोतियों की माला, संसार क्या है सपना, वो भी अजब निराला, मानव तू है मुसाफिर, दुनिया
अगर माँ ने ममता लुटाई ना होती, तो ममतामयी माँ कहाई ना होती-२ द्वारे पे आए माँ हमको निहारो, सोई हुई तक़दीर संवारो-२ अगर माँ की ज्योति जलाई ना होती। तो ममतामयी माँ कहाई ना होती-२ अगर मां ने ममता… हमें क्या पड़ी है हम तुम्हे मनाए, हमारा तो हक़ है की हम रूठ जाए-२
हो गए भव से पार लेकर नाम तेरा(२) हो गए भव से पार लेकर नाम तेरा(२) बाल्मीक अति दीन हीन थे, बुरे कर्म में सदा लीं थे। करी रामायण तयार लेकर नाम तेरा, हो गए भव से पार… हो गए भव से पार लेकर नाम तेरा(२) थे नल नील जाति के वानर, राम नाम लिख
अमृत है हरि नाम जगत में, इसे छोड़ विषय विष पीना क्या, हरि नाम नही तो जीना क्या। काल सदा अपने रस डोले, ना जाने कब सिर चढ़ बोले, हरि का नाम जपो निसवासर, इसमें अब बरस महिना क्या। हरि नाम नही तो जीना क्या। तीर्थ है हरि नाम तुम्हारा, फिर क्यों फिरता मारा-मारा, अंत
अगर नाथ देखोगे अवगुण हमारे, तो हम कैसे भव से लगेंगे किनारे॥ हमारे लिए क्यों देर किए हो, (हमारे लिए क्यों देर किए हो) गणिका अजामिल को पल में उबारे, (गणिका अजामिल को पल में उबारे) अगर नाथ देखोंगे अवगुण हमारे, तो हम कैसे भव से लगेंगे किनारे॥ पतितो को पावन करते कृपानिधि, (पतितो को