Tag: Prakash Maali
चौसठ जोगणी रे भवानी, देवलिये रमजाय घूमर घालणि रे भवानी, देवलिये रमजाय॥ दोहा – देवा में देवी बड़ी, और बड़ी जगदम्बे माय, लज्जा मोरी राखियो, कीजो म्हारी सहाय, कीजो म्हारी सहाय, शरण में आया तेरी, जगदम्बे महारानी माँ, लाज रख दीजो म्हारी॥ देवलिये रमजाय म्हारे, आंगणिये रमजाय, चौसठ जोगणी रे भवानी, देवलिये रमजाय घूमर घालणि
मत कर रे सांवरा हेरो, म्हारे थारे बराबर डेरो। वळता आईजो पांवणा, मारग में झुपडो मारो जी। ॥टेर॥ महल मालियाँ थारे, आ भागी झुपडो म्हारे। वळता आईजो पांवणा, मारग में झुपडो मारो जी॥ हिंगलू ढोलियो थारे, आ भागोड़ी माचली म्हारे। वळता आईजो पांवणा, मारग में झुपडो मारो जी॥ सिरक पथरना थारे, आ फाटोडी गुदडी म्हारे।
॥दोहा॥ आठ पहर यू ही गया, माया मोह जंजाल। राम नाम हृदय नहीं, जीत लिया जम काल॥ कलजुग झाला देतो आवे रे, चौडे धाडे। चौडे धाडे ओ, कलजुग हेला मारे। कलयुग झाला देतो आवे रे, चौडे धाडे॥ ॥टेर॥ सतयुग त्रेतायुग द्वापर कि, उठ रित पुराई। कान खोल सुनले भाया, कलजुग री चतुराई। के सारा एकन
हेली म्हारी निर्भय रहीजे रे, दुनियादारी औगणकारी जाने, भेद मत दईजे रे, हेली म्हारी निर्भय रहीजे रे॥ इण काया में अष्ट कमल हैं, इण काया में हो, ओ इण काया में अष्ट कमल, ज्योरी निंगे कराइजे ए, हेली म्हारी निर्भय रहीजे रे॥ सत री संगत में, सत संगत में बैठ सुहागण, साच कमाइजे ए ए