दुनिया रचने वाले को भगवान कहते हैं संकट हरने वाले को हनुमान कहते हैं।। हो जाते है जिसके अपने पराये हनुमान उसको कंठ लगाये जब रूठ जाये संसार सारा बजरंगबली तब देते सहारा अपने भक्तो का बजरंगी मान करते है संकट हरने वाले को हनुमान कहते हैं।। दुनिया में काम कोई ऐसा नहीं है हनुमान
देखा लखन का हाल तो श्री राम रो पड़े। अंगत सुग्रीव जामवंत बलवान रो पड़े॥ लंका विजय की अब मुझे, चाहत नहीं रही। मुझमें धनुष उठाने की, ताकत नही रही। रघुवर के साथ धरती, आसमान रो पड़े॥ करने लगे विलाप, श्री राम फुटकर। क्या मै जवाब दूँगा, अयोध्या में लौटकर। जितने थे मन में राम
।।श्लोक।। माँ नाम लेना कोई शर्म नहीं है, इससे बड़ा तो कोई करम नहीं है, जिसमे माता की पूजा का जिक्र न हो, ऐसा तो दुनिया में कोई धर्म नहीं है। मैया कृपा करदो झोली मेरी भरदो, तेरी दया का हम सदा गुणगान करेंगे, तेरा ध्यान करेंगे। मैया कृपा कर दो झोली मेरी भरदो। भक्तो
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला। श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला। गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली। लतन में ठाढ़े बनमाली; भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक, चन्द्र सी झलक; ललित छवि श्यामा प्यारी की॥ श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
तेरे दर को मैं छोड़ कहाँ जाऊँ, माँ दूजा कोई द्वार ना दिखे॥ (चाहे छुट जाये ज़माना,या मालो -जर छूटे, ये महल और अटारी,या मेरा घर छूटे, पर कहता है ये लख्खा,ऐ मेरी माता, सब जगत छूटे,पर तेरा न द्वार छूटे) तेरे दर को मैं छोड़ कहाँ जाऊँ, माँ दूजा कोई द्वार ना दिखे, अपना
सदा पापी से पापी को भी, तुम माँ भव-सिन्धु तारी हो फंसी मझधार में नैया को भी, पल में उभारी हो ना जाने कौन ऐसी भूल, मुझ से हो गयी मैया तुमने अपने इस बालक को माँ, मन से बिसारी हो बिगड़ी मेरी बना दे मैया जी मेरी मैया बिगड़ी मेरी बना दे ऐ शेरोंवाली
मेरी मैया की चुनरी कमाल है, (मेरी मैया की चुनरी कमाल हैं) रंग सोणा सोणा लाल लाल है। मेरी मैया की चुनरी कमाल हैं, रंग सोणा सोणा लाल लाल है।। माँ की चुनरी के देख नज़ारे, चम चम चमके जिसमे, चाँद और सितारे, रंग उड़ रहे है प्यारे प्यारे। हीरे मोती से सजी बेमिसाल है,
बड़े बलि महान बलि वीर वर बलि-२ डंका तुम्हारे नाम का बजता गली-गली॥ बलि बलि बलि बलि, ऐ बसुर अंग बलि। सदा तुम्हारी जय हो बजरंगबली। भगवान रामचंद्र की भक्ति तुम्हे मिली। दुश्मन की तोड़ देते हो गिन गिन के तुम नली॥ रणभूमि में जिस वक़्त गदा आपकी चली। रावण के दल में मच गयी
कलयुग में सिद्ध हो देव तुम्ही, हनुमान तुम्हारा क्या कहना कलयुग में सिद्ध हो देव तुम्ही, हनुमान तुम्हारा क्या कहना। तेरी शक्ति का क्या कहना, तेरी भक्ति का क्या कहना… सीता की खोज करी तुमने, तुम सात समुन्दर पार गये। लंका को-किया शमशान प्रभु, बलवान तुम्हारा क्या कहना। तेरी शक्ति का क्या कहना, तेरी भक्ति
मेरी अखियों के सामने ही रहना, माँ शेरों वाली जगदम्बे। हम तो चाकर मैया तेरे दरबार के, भूखे हैं हम तो मैया बस तेरे प्यार के॥ विनती हमारी भी अब करो मंज़ूर माँ, चरणों से हमको कभी करना ना दूर माँ॥ मुझे जान के अपना बालक सब भूल तू मेरी भुला देना, शेरों वाली जगदम्बे