मोहन से दिल क्यूँ लगाया है, यह मैं जानू या वो जाने। छलिया से दिल क्यूँ लगाया है, यह मैं जानू या वो जाने ॥ हर बात निराली है उसकी, कर बात में है इक टेडापन । टेड़े पर दिल क्यूँ आया है, यह मैं जानू या वो जाने ॥ जितना दिल ने तुझे याद
दिनबंधु दीनानाथ मेरी सुध लीजिए, दीनो के दयाल दाता मोपे दया कीजिए। खेती नाहीं बाड़ी नाहीं, बीणज व्यापार नाहीं, एसों कोई सेठ नाहीं, जाँ से कछु लीजिए दीनो के दयाल दाता….|1| भाई नाहीं बन्धु नाहीं, कूटुंब कबीलो नाहीं, एसों कोई मित्र नाहीं, जाँ से कच्छु लिजये दीनो के दयाल दाता….|2| सोने को सुनैयो नाहीं, रूपै
बरसाने में होली खेलु राधा बड़ी प्यारी है, ये केहता कृष्ण मुरारी है, राधा संग सखियाँ सारी है होली में उड़े रंग भारी है, कोई गोई कोई काली है ये कहता कृष्ण मुरारी है, राधा वहा बड़ी न्यारी है, बरसाने में होली खेलु राधा बड़ी प्यारी है, बीगी अंगियां बीगी साडी मारेगा न जब पिचकारी,
चाल सखी सत्संग में चाला, सत्संग में माधव आसी, राम गुण रामगुण गावो म्हारी, सजनी नहि तो जुगड़ा में बैज्यासी। ब्रह्मा आसी विष्णु आसी, शंकर आसी बाबों कैलाशी, सुंड सुण्डाल्यो बाबो गणपत आसी, संग में आ गौरजा माँ आसी।। राम लक्ष्मण दशरथजी का लड़का, माधो वन को वनवासी, हनुमान सा पायक आसी, संग में आ
कन्हैया तेरी बांसुरियां सारे जग में धूम मचाई, ये लागे प्यारी प्यारी…. बैठ कदम पे कान्हा जब मुरली मधुर बजाए, तेरे मुरली सुन के राधे झट दौड़ी दौड़ी आये, कन्हैया तेरी बांसुरियां मेरे दिल का चैन चुराए, ये लागे प्यारी प्यारी तेरी जादू गारी मुरली का संवारिये का कहना, क्या जाने वैरान मुझपे कर गई
तेरा दर मिल गया मुझको सहारा हो तो ऐसा हो। मुझे राश आ.. गया है, तेरे दर… पर सर. झुकाना तूझे मिल गया… पुजारी , मुझे मिल गया… ठिकाना। मुझे कोन.. जानता था तेरी बंदगी.. से पहले तेरे नाम ने.. बना दिया, मेरी जिंदगी फसाना। तेरा दर मिल गया मुझको सहारा हो तो ऐसा हो,
तू ही बन जा मेरा मांझी पार लगा दे मेरी नैया, हे नटनागर कृष्ण कन्हैया पार लगा दे मेरी नैया.. इस जीवन के सागर में, हर क्षण लगता है डर मुझ्को, क्या भला है क्या बुरा है तू ही बता दे मुझ्को, हे नटनागर कृष्ण कन्हैया पार लगा दे मेरी नैया.. क्या तेरा और क्या
छोटी – छोटी गैया, छोटे छोटे ग्वाल। छोटो सो , मेरो मदन गोपाल। २ आगे आगे गैया , पीछे पीछे ग्वाल। २ बिच में मेरो ,यशोदा को लाल। … छोटी – छोटी गैया ने , छोटे छोटे ग्वाल। छोटो सो , मेरो मदन गोपाल। २ काली काली गैया ,गोर गोर ग्वाल। २ श्याम हरण मेरो
फागुन का महीना केसरिया रंग घोल होली खेले राधा संग नटवर नन्द किशोर ….2 ओढ़ के आयी कान्हा नयी रे चुनरिया पिचकारी भर मेरे मारो न सावरिया पिचकारी मारी कर दीन्ही सर दर होली खेले राधा संग नटवर नन्द किशोर ….2 फागुन का महीना केसरिया रंग घोल होली खेले राधा संग नटवर नन्द किशोर ….2
कहाँ जा छिपे हो जाकर के कान्हा । अब तक मिला नहीं हमको ठिकाना। जब से गये हो यहाँ से पाती ना पढ़ाई। तेरी याद में झेलें भारी हम तबाई। शोभा न देता प्यारे यों छिप के जाना। अब तक मिला नहीं हमको ठिकाना।। तिनका न खायें गऊएं भारी तडफड़ायें। तेरी याद में गोपी खाना